आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी के पुत्र,चैत्य भूमिचे शिल्पकार,सूर्यपुत्र,भैय्यासाहेब यशवंत भीमराव अंबेडकर की जंयती की हार्दिक बधाईयां एवं शत्-शत् नमन —
12,दिसम्बर,1912
वो थे इसलिए आज हम है
इतिहास के पन्नों से
— आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर & राष्ट्रमाता रमाई अम्बेडकर के पुत्र,महान पिता की महान हस्ती,सूर्यपुत्र,भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता,राजनीतिज्ञ और बौद्ध आंदोलन को गति देने वाले,भारतीय बौद्ध महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष भैय्या साहब यशवंतराव अम्बेडकर जी की जंयती की हार्दिक बधाईयां एवं शत्-शत् नमन —
— जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं —
— भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर जी के पुत्र भैया जी यशवंतराव अम्बेडकर जी का जीवन परिचय —
— भैया साहेब यशवंतराव अम्बेडकर का जन्म 12,दिसम्बर 1912 को हुआ था. उस समय भैयासाहेब के पिताजी अर्थात बाबासाहब डा भीमराव अम्बेडकर परिवार के साथ मुम्बई के पायबावाडी परेल,बी आय टी चाल में रहते थे. बाबा साहब आंबेडकर की पांच संतानों में यशवंतराव सबसे बड़े पुत्र थे. यशवंत को लोग आदर और प्यार से भैयासाहेब कह कर ही बुलाते थे —
— कहा जाता है कि पीपल या बरगद के नीचे फिर कोई दूसरा पेड़ नहीं पनपता। यह कहावत उन लोगों ने बनाई है जिनके अनुसार किसी बड़े महापुरुष के घर कोई दूसरा महापुरुष पैदा नहीं होता। औरों के बारे में तो नहीं मालूम मगर, भैयासाहेब यशवंतराव आंबेडकर के बारे में यह कहावत झूठी लगती है—
— बाबा साहब की पांच संतानों में क्रमश: यशवंत राव, रमेश, गंगाधर, राजरत्न चार पुत्र और इंदु नामक एक पुत्री थी. यशवंतराव ज्येष्ठ पुत्र थे. इंदु,राजरत्न से बड़ी थी. मगर, बड़े बच्चे यशवंत को छोड़कर चारों बच्चें जिस में पुत्री इंदु भी शामिल हैं, दो-तीन वर्षों के अंतर से मृत्यु को प्राप्त हुए थे. यशवंत राव का स्वास्थ्य भी कुछ खास ठीक नहीं रहता था. बाबा साहब को बच्चें और परिवार तरफ ध्यान देने के लिए समय जो नहीं था. वे अपनी व्यस्तताओं के चलते चाह कर भी ध्यान ही नहीं दे पाते थे —
— शारीरिक अस्वस्थता के चलते यशवंतराव मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त कर सके. दूसरे, बालक का मन पढाई में कम और कोई काम-धंधा करने में अधिक था. अभी 25 वर्ष की उम्र भी न हो पाई थी कि बालक यशवंत के सर से माता साया उठ गया. 27,मई,1935 में माता रमाबाई का निधन हो गया. रमाबाई के गुजर जाने के बाद भैयासाहेब की जिम्मेदारी बाबा साहेब पर आन पड़ी. वे यशवंतराव की खबर रखने लगे. अब भैया साहेब के स्वास्थ्य में भी धीरे-धीरे सुधार होने लगा —
— 13,अक्टूबर,1935 को येवला में बाबा साहेब ने घोषणा की थी कि वे हिन्दू के रूप में पैदा हुए किन्तु हिन्दू के रूप में मरेंगे नहीं . इस समय भैया साहेब 23 वर्ष के हो चुके थे. वे पुरे होशों-हवास अपने पिता की हुंकार को सुन-समझ रहे थे. अर्थात अब भैया साहेब बाबा साहेब की तरह सामाजिक कार्यों में भाग लेने लगे थे. 'जनता ' नामक समाचार पत्र और प्रिंटिंग प्रेस, जिसकी स्थापना बाबा साहेब ने की थी, सन 1944 में भैया साहब ने संभाल ली थी —
— सन 19 52 में रंगून में संपन्न 'विश्व बौद्ध सम्मेलन' से लौट कर आने के बाद बाबा साहेब ने अपने इस पत्र 'जनता' का नाम बदलकर 'प्रबुद्ध भारत' और प्रिंटिंग प्रेस का नाम 'बुद्ध भूषण प्रिंटिंग प्रेस' रख लिया था. भैया साहेब 'प्रबुद्ध भारत' के सम्पादक तो थे ही, वे प्रिंटिंग प्रेस के प्रकाशक, मुद्रक का काम भी सम्भाल रहे थे. इस समय भैयासाहब की उम्र 32 वर्ष हो चुकी थी —
— भैया साहब का विवाह मीराताई के साथ 19,अप्रैल, 1953 को परेल के आर एम् भट्ट हाई स्कूल हाल में बौद्ध पद्यति से संपन्न हुआ था. अब यशवंतराव ने राजनीति में कदम रखा. सन 1952 में कुलावा विधान सभा सीट से वे खड़े हुए थे मगर, सीट निकाल नहीं पाए —
— भैयासाहब का साथ छोड़ गए. बाबा साहेब के जाने के बाद उनके द्वारा स्थापित 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इण्डिया' का वृहतर कार्य भैयासाहेब के कन्धों पर आन पड़ा भैया साहब ने लोगों के द्वारा दी गई इस जिम्मेदारी को ठीक ढंग से सम्भाला. 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इण्डिया' के बेनर तले धम्म प्रचार-प्रसार, बौद्ध उपासक /उपासिकाओं का प्रशिक्षण और शिविर आदि के कार्य को उन्होंने एक नई गति दी .बौद्ध धार्मिक संस्कारों के निष्पादन के लिए बोधाचार्यों की नियुक्ति में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा था —
भैयासाहेब की सहमति से ही 'रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया' जिसकी स्थापना 3,अक्टूबर,1957 को हुई थी के अध्यक्ष एन शिवराज चुने गए. इधर सन 1957 के आम चुनाव में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के 6 सदस्य चुन कर आए थे, यद्यपि उन में भैयासाहेब नहीं थे —
— भैयासाहेब यशवंतराव अम्बेडकर सन 1960 मुंबई विधान परिषद् के लिए चुने गए थे. भैयासाहब के विधान परिषद् के लिए चुने जाने से दलित जातियों में ख़ुशी की लहर छा गई .ऐसे मौके पर सम्बोधित करते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि उनकी जय-जयकार करने से बेहतर है लोग बाबा साहब के द्वारा किये गए कार्यों को आगे बढाए. विधान परिषद् में उन्होंने गरीब,मजदूर और दलित हित से जुड़े मुद्दों को जम कर उठाया था —
— दलित आन्दोलन को व्यवस्थित ढंग से चलाने मुंबई में एक बड़ी बिल्डिंग होना चाहिए, यह बाबा साहब की इच्छा रही थी. इसे मूर्त रूप देने के लिए सन 1966 में बाबा साहेब की जयंती के अमृत महोत्सव पर भैया साहेब के नेतृत्व में जन्म स्थली मऊ (इंदौर) से चैत्य भूमि (दादर मुंबई) तक ऐतिहासिक लांग मार्च 'भीम ज्योत रैली' का आयोजन किया गया था. दादर (मुंबई) में स्थापित चैत्य भूमि का निर्माण भैया साहेब के इसी लांग मार्च से ही सम्भव हुआ था —
— स्मरण रहे, चैत्य-भूमि में सीमित जगह को देखते हुए भैया साहेब ने इससे लगी वर्षों से बंद पड़ी इंदु मिल के जमीन की मांग इस हेतु शासन की थी जो उनके देहांत के 45 वर्ष बाद 5 दिस 2012 को पूरी हुई —
— भैया साहेब मुंबई आर पी आई के अध्यक्ष थे. मगर, रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं की आपसी गुटबाजी से वे बड़े दुखी रहा करते थे. उन्होंने पार्टी वरिष्ठ नेताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क कर मिल कर काम करने का अनुरोध किया. किन्तु नेताओं की आपसी गुटबाजी और स्वार्थ के कारण वे पार्टी में अपेक्षित सुधार नहीं ला सके —
— बाबा साहेब द्वारा लिखित 'दी बुद्धा एंड हिज धम्मा' के प्रसार-प्रचार में भैया साहेब ने देश-विदेश के कई दौरे किए. सन 19 57 से 19 63 के दौरान 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया' के प्रचार-प्रसार में उन्होंने देश भर दौरे किए. बौद्ध-संस्कार विधि बताने के लिए देश में बौद्ध भिक्षुओं की संख्या बहुत कम थी. भैया साहब के नेतृत्व में बौद्ध प्रचारकों/ बौद्ध-आचार्यों का नेट-वर्क बनाने का काम बड़े पैमाने पर किया गया. इसके लिए बौद्धाचार्यों को चैत्य-भूमि में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई —
— मुंबई में 23,नवंबर,1968 को बौद्ध भिक्षु दलाई लामा की उपस्थिति में 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया' के बैनर तले महाअधिवेशन हुआ. श्रीलंका में सम्पन्न 10 वें विश्व बौद्ध सम्मेलन जो 22,मई,1972 को हुआ था, में भारत का प्रतिनिधित्व किया व भारतीय बौद्धों के प्रश्नों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रखा.इसी प्रकार दिल्ली में सम्पन्न एशियाई बौद्ध परिषद् में उन्होंने देश का प्रतिधित्व किया था —
— भैया साहेब द्वारा लिखित पुस्तिका 'तुम्हे बौद्ध होने किसने बताया ?' सन 1977 में प्रकाशित हुई थी. धम्म के प्रचार-प्रसार के दौरान कई बार उन पर प्राण-घातक हमले भी हुए मगर, भैया साहेब अपने कार्य में निरंतर डटे रहे. पंद्रह दिनों के लिए सन 1967 में वे श्रामणेर बने थे. श्रामणेर के रूप में उनका नाम पंडित काश्यप था
— दादा साहेब भाऊ राव गायकवाड के साथ मिल कर भैया साहब यशवंत राव आम्बेडकर ने भूमि सम्बन्धी कई आन्दोलन चलाए और सत्याग्रह किए 14,अगस्त,1977 को प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई से धर्मान्तरित बौद्धों को अनुसूचित जाति की सुविधा जारी रहनी चाहिए,इस बाबत चर्चा की. मुंबई विधान परिषद् का सदस्य रहते हुए भी भैया साहेब यह मांग बराबर उठाते रहे —
— भैय्या यासाहेब बाबासाहेब अम्बेडकर के सम्मान में कई स्मारक बनाए गए। उन्होंने मुंबई में पहला स्मारक बनाया। या डॉ। 7 अप्रैल, 1979 और 7 जून, 1979 को अंबेडकर हॉल के भूमिपूजन का उद्घाटन किया गया। — भैया साहेब दीक्षा-भूमि नागपुर में बौद्ध विद्यापीठ स्थापित करने वाले थे किन्तु उनके तमाम प्रयासों के बावजूद यह स्वप्न साकार नहीं हो सका —
— बाबा साहब के आन्दोलन को आगे बढ़ाते हुए भैयासाहेब अपने अथक प्रयासों से धम्म के रथ को आने वाली पीढ़ी के कन्धों पर रख कर 17,सितंबर,1977 को हम से विदा ले लिए —
—— वो थे इसलिए आज हम है ——
—— यारों अगर भीम न होते तो बहुजन समाज और महिलाओं का मान सम्मान न होता अगर भीम न होते तो इस देश की मुखिया कोई महिला न होती,ये सूट बूट वाले साहब न होते शोषितों वंचित समाज में ये ऐसो आराम के समान न होते ये आलिशान महल न होते ——
—— अगर इस भारत भूमि पर भीम न होते तो ये बड़ी बड़ी गाडियां, ये शोहरत ये इज्जत, ये अफसरशाही, सत्ता का स्वाद,न होता,ये उस सूर्य कोटि महापुरुष परमपूज्य
बाबा साहेब की देन है जिन्होंने अपने समाज को गुलामी से आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर
कर दिया ——
—— ऐसे महान शख्सियत के चरणों में शत शत नमन करता हूं, मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर वो बाबा थे जिन्होंने अपने समाज के बेटों को बचाने के लिए अपने बच्चों, पत्नी की कुर्बानी दे दी थी समाज के लिए ——
—— जरा हम लोग सोचे कि हमने क्या किया बाबा साहेब के लिए बाबा साहेब की पूजा तो हम बड़ी शिद्दत से करते हैं
ले उनकी बातों को नहीं मानते हैं ऐसे महान शख्सियत,आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक के चरणों में शत शत प्रणाम करता हूं ——
— तो ऐसे थे हमारे आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर —
—— साथियों आज वे हमारे बीच नही है, पर उनके द्वारा किये गए कार्यों,संघर्षों और उनके उपदेशों से हमेशा वे हमारे बीच जीवंत है। संविधान के रचयिता और ऐसे अद्वितीय समाज सुधारक को हमारा कोटि-कोटि नमन ——
— आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे
महानायक, लेकिन”भारतीय जातिवादी-मानसिकता ने सदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई |भारत में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा हो, जिसने देश के निर्माण,उत्थान और प्रगति के लिए थोड़े समय में इतना कुछ कार्य किया हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी ने किया है और शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो, जो निंदा, आलोचनाओं आदि का उतना शिकार हुआ हो,जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी हुए थे —
—— बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है। इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था ——
—— आवो जानें पे बैक टू सोसायटी क्या ——
—— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय,ज्ञान,बुद्धि, पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
—— तुम्हारें अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं दुबारा नहीं आऊंगा,ये क्रांति का रथ संघर्षो का कारवां ,जो मैं बड़े दुखों,कष्टों को सहकर यहाँ तक ले आया हूँ,अब आगे तुम्हे ही ले जाना है ——
—— साथियों बाबा साहेब जी अपने अंतरिम दिनोँ में अकेले रोते हुऐ पाए गए। बाबा साहेब अम्बेडकर जी से जब काका कालेलकर कमीशन 1953 में मिलने के लिए गया ,तब कमीशन का सवाल था कि आपने पूरी जिन्दगी पिछड़े,शोषित,वंचित वर्ग समाज के उत्थान के लिए लगा दी काका कालेकर कमीशन ने पूछा बाबा साहेब जी आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए बाबा साहेब ने जवाब दिया कि पिछड़े,शोषित,वंचित समाज का उत्थान करना है तो इनके अंदर बड़े लोग पैदा करने होंगें ——
—— काका कालेलकर कमीशन के सदस्यों को यह बात समझ नहीं आई तो उन्होने फिर सवाल किया “बड़े लोग से आपका क्या तात्पर्य है ? " बाबा साहेब जी ने जवाब दिया कि अगर किसी समाज में 10 डॉक्टर , 20 वकील और 30 इन्जिनियर पैदा हो जाऐ तो उस समाज की तरफ कोई आंख ऊठाकर भी देख नहीं सकता !"
—— इस वाकये के ठीक 3 वर्ष बाद 18 मार्च 1956 में आगरा के रामलीला मैदान में बोलते हुऐ बाबा साहेब ने कहा "मुझे पढे लिखे लोगों ने धोखा दिया। मैं समझता था कि ये लोग पढ लिखकर अपने समाज का नेतृत्व करेगें , मगर मैं देख रहा हुँ कि मेरे आस-पास बाबुओं की भीड़ खड़ी हो रही है जो अपना ही पेट पालने में लगी है !"
—— साथियों बाबा साहेब अपने अन्तिम दिनो में अकेले रोते हुए पाए गए ! जब वे सोने की कोशिश करते थे तो उन्हें नींद नहीं आती थी,अत्यधिक परेशान रहने वाले थे बाबा साहेब के निजी सचिव नानकचंद रत्तु ने बाबा साहेब जी से सवाल पुछा कि , आप इतना परेशान क्यों रहते है बाबा साहेब जी ? ऊनका जवाब था , " ——
—— नानकचंद , ये जो तुम दिल्ली देख रहो हो अकेली दिल्ली में 10,000 कर्मचारी ,अधिकारी यह केवल अनुसूचित जाति के है ! जो कुछ साल पहले शून्य थे मैँने अपनी जिन्दगी का सब कुछ दांव पर लगा दिया,अपने लोगों में पढ़े लिखे लोग पैदा करने के लिए क्योंकि मैं जानता था कि जब मैं अकेल पढ लिख कर इतना काम कर सकता हुँ अगर हमारे हजारों लोग पढ लिख जायेगें तो बहुजन समाज में कितना बड़ा परिवर्तन आयेगा लेकिन नानकचंद,मैं जब पुरे देश की तरफ निगाह दौड़ाता हूँ हूँ तो मुझे कोई ऐसा नौजवान नजर नहीं आता है,जो मेरे कारवाँ को आगे ले जा सकता है नानकचंद,मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा है ,जब मैं अपने मिशन के बारे में सोचता हुँ,तो मेरा सीना दर्द से फटने लगता है ——
—— जिस महापुरुष ने अपनी पुरी जिन्दगी,अपना परिवार ,बच्चे आन्दोलन की भेँट चढाए,जिसने पुरी जिन्दगी इस विश्वास में लगा दी कि , पढा -लिखा वर्ग ही अपने शोषित वंचित भाइयों को आजाद करवा सकता हैं जिन्होंने अपने लोगों को आजाद कर पाने का मकसद अपना मकसद बनाया था,क्या उनका सपना पूरा हो गया ? आपके क्या फर्ज बनते हैं समाज के लिए ?
—— सम्मानित साथियों जरा सोचो आज बाबा साहेब की वजह से हम ब्रांडेड कपड़े, ब्रांडेड जूते, ब्रांडेड मोबाइल, ब्रांडेड घड़ियां हर कुछ ब्रांडेड इस्तेमाल करने के लायक बन गए हैं बहुत सारे लोग बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब पर सैकड़ों रुपये बर्बाद करते हैं ! इस पर औसतन 500 रुपये खर्च आता है,चाउमीन, गोलगप्पे, सूप आदि पर हरोज 20 से 50 रुपये खर्च आता है। महिने में ओसतन 600 से 1500 रुपये तक खर्च हो सकते हैं ——
—— बाबा साहेब के अधिकारों,संघर्षो,प्रावधानों की वजह से जो लोग इस लायक हो गए हैं हम लोगों पर बाबा साहेब ने विश्वास नहीं किया क्योंकि हमने बाबा साहेब के साथ विश्वासघात किया था ! उनके द्वारा दिखाए गए सपनों से हम दूर चले गए नौकरी आयी और आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी को भूल गए ——
——"हमारे उपर बाबा साहेब का बहुत बड़ा कर्ज है,
क्या आप उसे उतार सकते हैं,नहीं रत्तीभर भी नहीं हम जिस शख्स ने इस देश के शोषित,वंचित, पिछले, समाज,सर्वसमाज,महिलाओं भारतवर्ष के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी,अपने बच्चे,पत्नी अपने सुख चैन सब कुछ कुर्बान कर दिया जरा सोचो किसके लिए आप लोगों के लिए और हम लोग क्या कर रहें हैं टीवी,बीवी में मस्त है मिशन को भूल गये ——
—— लेकिन हमें फिर से पहले की तरह बाबा साहेब को धोखा नहीं देना चाहिए,पढ़े-लिखे लोगो अपने उपर से धोखेबाज का लेबल उतारो और बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाओ ——
——आपके बीड़ी, सिगरेट पर खर्च होने वाले 15 रुपये से न जाने कितने बच्चों को शिक्षा मिल सकती है,आपके फास्टफूड पर खर्च होने वाले 50 रुपये से न जाने कितने गरीब लोगों को दवाई मिल सकती है !आपके इन पैसों से न जाने कितने मिशनरी साथियों का खर्च चल रहा है जो पूरा जीवन समाज सेवा मे लगा रहे हैं ——
—— जरा अपने दिल पर हाथ रख कर कहो तुम क्या बाबा साहेब के पे बैक टू सोसाइटी सिद्धांत पर चल रहे हो ——
—— केवल भंडारे देना,चंदा देना,कार्यक्रम करना,ठंडे पानी की स्टाल लगाना पे बैक टू सोसाइटी नहीं है ——
——अपने जैसे सक्षम लोग पैदा करना पे बैक टू सोसाइटी है गरीब बच्चों को शिक्षित करना पे बैक टू सोसाइटी है,शिक्षित लोगों को नौकरियां दिलाना डाक्टर है ——
——बहुजनों को वैज्ञानिक,इंजिनियर,वकील,शिक्षक,डाक्टर इत्यादि बनाना पे बैक टू सोसाइटी है.बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए लगे हुए मिशनरियों को मदद देना असली पे बैक टू सोसाइटी है ——
—— आप जो पोजिशन पर है आपका फर्ज बनता है कि मेरे समाज का हर बच्चा उस पोजिशन पर पहुंचे यह पे बैक टू सोसाइटी है,अतः हम पढे-लिखे, नौकरीपेशा समाज से अपील करते हैं कि आप अपने उपर लगे धोखेबाज के लेबल को उतारने की कोशिश करें आपने ग़ैर-भाई बहनों के पास जाओ,उनकी ऊपर उठने में मदद करें,अपने उद्योग धंधे, व्यापार आदि शुरू करें, अपने आप को बेरोजगार बहुजनों के लिए रोजगार की व्यवस्था करें,अपना व्यवसाय शुरू करें, अपने समाज का पैसा अपने समाज में रोकें ——
—— प्रयत्न करें,जब तक बाबा साहेब का पे बैक टू सोसाइटी का सिद्धांत लागू नहीं होगा तब तक देश से गरीबी नहीं मिटेगी ——
—— साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट {संदर्भ- सलेक्टेड ऑफ डाँ अम्बेडकर – लेखक डी.सी. अहीर पृष्ठ क्रमांक 110 से 112 तक के भाषण का हिन्दी अनुवाद), श्री गुरु रविदास जन-जागृति एवं शिक्षा समिति,(राजी),दलित दस्तक ,समय बुद्धा,,पुस्तक-'डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर के महत्वपूर्ण संदेश एवं विद्वत्तापूर्ण कथन' के थर्ड कवर पृष्ठ से,लेखक-नानकचंद रत्तू-अनुवादक-गौरव कुमार रजक, अंकित कुमार गौतम,संपादन-अमोल वज्जी,प्रकाशक-डी के खापर्डे मेमोरियल ट्रस्ट (पब्लिकेशन डिवीजन)527ए, नेहरू कुटिया, निकट अंबेडकर पार्क, कबीर बस्ती, मलका गंज, नई दिल्ली -07, विकिपीडिया} ——
——"सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,मानवता की प्रचारक महामानव बाबा साहेब अम्बेडकर जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं ——
— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —
— साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं
— जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान —
— सच अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया ——
―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
—— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
—―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है ——
—– साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था ——
―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"
―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !
―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !
अमित गौतम
युवा सामाजिक
कार्यकर्ता
बहुजन समाज
जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर
सम्पर्क सूत्र-9452963593
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