बहुजन महानायक मां कांशीराम साहब


―बहुजन आंदोलन के सजग प्रहरी,बामसेफ,डी.एस.फोर.-4 व बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक एंव जंन्मदाता,बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर जी व उनके विचारों, सामाजिक,राजनीति कारवां को पुनः जीवित करने वाले,वैज्ञानिक,बहुजन समाज को सामाजिक चेतना से राजनीतिक चेतना तक ले जाने वाले बहुजन रक्षा वैज्ञानिक-महानायक मांन्यवर कांशीराम साहब जी को शत्-शत् नमन एवं भावभिनी श्रद्धांजलि―


भारतीय संसद का ऐतिहासिक दिन―


  ―बहुजन आंदोलन के सजग प्रहरी,बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब का सांसद में प्रवेश ―
                ―मान्यवर कांशीराम साहब ने 20 नवम्बर, 1991 को प्रात : 11 बजे संसद में उस समय पहला कदम रखा जब संसद में सभी सांसद सदस्य प्रवेश कर चुके थे. संसद के मुख्य द्वार पर जैसे ही मान्यवर पहुंचे तो सैकड़ों पत्रकार, फोटो ग्राफर आदि ने उन्हें घेर लिया. कुछ देर फोटोग्राफरों ने इतने फोटो खींचे की बिजली की सी चका- चौंध होती रही ―

―जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं —


             ―इसके बाद संसद की सीढियाँ चढ़ते हुए भी फोटोग्राफरों के फोटो खींचें जाने के कारण उन्हें हर सीढ़ी पर रुक-रुक कर आगे बढ़ना पड़ रहा था. पत्रकारों की निगाह में भी अब तक सांसद तो बहुत जीत कर आते रहे किन्तु कांशीराम साहब की जीत के मायने ही कुछ और थे. इसलिए उनके इंतजार में आज पत्रकार 10 बजे से ही खड़े थे ―

            ―इसके बाद आगे बढ़ते हुए मान्यवर कांशीराम साहब ने जब संसद के मुख्य हाल में प्रवेश किया तो सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष श्री शिवराज पाटिल अपनी सीट छोडकर उन्हें लेने पहुंचे और उनसे हाथ मिलाया ―
             ―मुख्य हाल में प्रवेश करते ही अन्दर बैठे सभी सांसदों ने अपने स्थान में खड़े होकर इस तरह स्वागत किया जैसे संसद में प्रधानमंत्री के स्वागत में खड़े हुए हों. प्रधानमंत्री श्री पी. वी. नरसिम्हाराव और अन्य पार्टियों के सभी बड़े नेता भी आगे बढ़कर मांन्यवर कांशीराम साहब जी से हाथ मिलाये―


                  ―शून्यकाल से पहले जब मान्यवर साहब को शपथ दिलायी गयी तो उस वक्त भी संसद तालियों से गूंज उठा. मान्यवर कांशीराम साहब जी  ने अंग्रेजी में “सत्यनिष्ठा” की शपथ ली थी. इस तरह उन्होंने न केवल शून्य से शिखर तक का रास्ता तय किया अपितु भारतीय राजनीति में उनकी इस आगाज ने देश की राजनीति की दिशा भी बदल दी ―

      ―विशेष साभार मा कांशी रामजी के भाषण की CD से साभार मा.साहब के एतिहासिक साहस को नमन तथा नमन उस बहुजन समाज को जिसने फुले-शाहू आंबेडकर और कांशीराम साहब की विचारधारा को समझा और जो समझकर इनकी विचारधारा को जन जन तक पहुँचाने में लगे हैं ―
  
―बहुजन आंदोलन के सजग प्रहरी,बामसेफ,डी.एस.फोर.-4 व बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक एंव जंन्मदाता,बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर जी व उनके विचारों, सामाजिक,राजनीति कारवां को पुनः जीवित करने वाले,वैज्ञानिक,बहुजन समाज को सामाजिक चेतना से राजनीतिक चेतना तक ले जाने वाले बहुजन रक्षा वैज्ञानिक-महानायक मांन्यवर कांशीराम साहब जी को शत्-शत् नमन एवं भावभिनी श्रद्धांजलि―

―बहुजन आंदोलन के सजग प्रहरी,बहुजन नायक मांन्यवर कांशीराम साहब के प्रमुख नारें―

―जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी.' उनका एक और नारा था 'जो बहुजन की बात करेगा, वो दिल्ली पर राज करेगा ―


          ―वोट हमारा,राज तुम्हारा
नहीं चलेगा, नहीं चलेगा―


         ―जिनका स्वाभिमान मरा है वे ही
गुलाम है,इसलिए सिर्फ स्वाभिमानी लोग ही संघर्ष की परिभाषा समझे है ―
        ― जिसको जवानीं में चमचागिरी की लत लग जाए उसकी सारी उम्र दलाली में गुजर जाती है ―

     ―साथियों बहुजन आंदोलन के सजग प्रहरी,बहुजन नायक मांन्यवर कांशीराम साहब जी के बारे में गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता राजू सोलंकी लिखते है कि―


      ―आसान नही है कांशीराम बनना,कांशीराम बनने का मतलब है - नींव की ईट बनना,कांशीराम का मतलब है - पुरी जिंदगी का समर्पण―

      ―कांशीराम का मतलब है - अविरत साईकल रैलिया, अविरत लोकसंपर्क, जनजागृति, संगठन की अहमियत और लोगो के प्रति निष्ठा ―

     ―नब्बे प्रतिशत लोग रिजल्ट देखते है,प्रक्रिया नही देखते―


        ―एक आदमी ने अपनी पुरी जिंदगी की राजकीय, सामाजिक, सांगठनिक पूंजी - एक अनजान लडकी को सौंप दी और उसे भारत सहित पुरी दुनिया मे बहुजनो के इतिहास का एक गौरवपूर्ण प्रकरण लिखने का अवसर दिया―


       ―जहा पर हमारी सोच खत्म होती है,वहा से कांशीराम साहब की सोच शुरू होती है―


     ―आसान नही है कांशीराम बनना ―

―भारत के इतिहास में या यूँ कहें कि बहुजन समाज के इतिहास में 6,अक्टूबर,2006 का दिन बेहद महत्वपूर्ण है | ये वही दिन है जिस दिन हमारे मशीहा,बहुजन समाज को सामाजिक चेतना से राजनीतिक चेतना तक ले जाने वाले बहुजन रक्षा वैज्ञानिक-बहुजन नायक मांन्यवर कांशीराम साहब जी इस संसार को छोड़कर चले गये ―


―मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ जुड़ते गए और कारवां बनता गया―


    ―जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं ―


    ―कांशीराम साहब तेरी नेक कमाई तूने सोती कोम जगाई―
                 ―कांशीराम तेरी सोच पे पहरा देंगे ठोक के―



―विशेष साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनीति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,फारवर्ड प्रेस―
      
         ― सच अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं,सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है,पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है,कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है। इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही मां कांशीराम साहब जी का नाम दबा है !


     ―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के  बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया !

   ―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !

          ―ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो !
      
 ― तुम्हारें अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं दुबारा नहीं आऊंगा,ये क्रांति का रथ संघर्षो का कारवां ,जो मैं बड़े दुखों,कष्टों को सहकर यहाँ तक ले आया हूँ,अब आगे तुम्हे ही ले जाना है ―


      ―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है !


       ―साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था !

       ―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें 
निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !

      ―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"


       ―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !

        ―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
 सप्रेम जयभीम !!!


              ―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर  जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”


        ― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !

           ―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है !.इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए !

     ―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद   रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर 
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !

              
             अमित गौतम
             युवा सामाजिक
                कार्यकर्ता         
              बहुजन समाज
  जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर
           सम्पर्क सूत्र-9452963593

टिप्पणियाँ

  1. नमो बुद्धाय जय भीम जय भारतवर्ष

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  2. जय भीम नमो बुद्ध
    जो जानकारी दी है बहुत ही अच्छी बात है, आगे और भी बहुजन समाज की जो कुछ मिले वह अपने समाज को जाग्रत करते रहना होगा,
    जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी जय संविधान,

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