बहुजन क्रांति के ध्वजवाहक,मानवता के प्रचारक,राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा महाराज की जंयती की हार्दिक बधाईयां एवं मंगलकामनाएं

        
23,फरवरी,1876
   वो थे इसलिए आज हम है
        इतिहास के पन्नों से
------------------------------------------------------------
बहुजन क्रांति के ध्वजवाहक,मानवता के प्रचारक,समता समानता का पाठ पढ़ाने वाले बहुजन नायक भेदभाव पांखडवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा महाराज की जंयती की हार्दिक बधाईयां एवं मंगलकामनाएं —
------------------------------------------------------------
— परमपूज्य राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा कहते थे ”शिक्षा बड़ी चीज है. पैसे की तंगी हो तो खाने के बर्तन बेच दो, औरत के लिये कम दाम के कपड़े खरीदो। टूटे-फूटे मकान में रहो पर बच्चों को शिक्षा दिये बिना न रहो — 
------------------------------------------------------------
— शायद आप लोगों न पता हो बहुजन क्रांति के ध्वजवाहक,मानवता के प्रचारक,समता समानता का पाठ पढ़ाने वाले बहुजन नायक भेदभाव पांखडवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा महाराज है —
------------------------------------------------------------
— जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना  फिजूल है,कद आसमान का —                           
— जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं —
— दर्द सबके एक है,मगर हौंसले सबके अलग अलग है,कोई हताश हो के बिखर गया तो कोई संघर्ष करके निखर गया —
------------------------------------------------------------
— जागो बहुजन समाज जागो अपने इतिहास को पढ़ो —
  — बहुजन समाज के सम्मानित साथियों एंव माता बहनों को सबसे पहले धम्म प्रभात,नमो बुद्धाय,जय भीम मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर, कानपुर आप लोगों को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू करवाना चाहता हूँ.जिससे आप लोग शायद अनिभिज्ञ हो —
------------------------------------------------------------
      — जय राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा महाराज  —
— आज हम बात कर रहें हैं बहुजन क्रांति के ध्वजवाहक,मानवता के प्रचारक,समता समानता का पाठ पढ़ाने वाले बहुजन नायक भेदभाव पांखडवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा की
------------------------------------------------------------
— साथियों क्या आप लोगों को पता है कि उत्तर भारतीयों का राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा से साक्षात्कार बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब और द आयरनलेडी बहन मायावती जी ने कराया। वे संत गाडगे की जयंती एवं परिनिर्वाण दिवस मनाने के लिए धोबी समाज को प्रेरित करते आये हैं अपने संघर्षो के दिनों से —
------------------------------------------------------------
— बीसवीं सदी के समाज-सुधार आन्दोलन में जिन महापुरूषों का योगदान रहा है, उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण नाम संत बाबा गाडगे का है — 
— हुक्का-तम्बाकू,पान -बीड़ी छोड़ो,शराब पीनी बंद करो,धार्मिक पांखडो पर पैसा बर्बाद करना बंद करो,पाई-पाई जोड़ो और बच्चों की शिक्षा पर खर्च करो— संत गाडगे बाबा 
------------------------------------------------------------
— वे अपने प्रवचनों में शिक्षा पर उपदेश देते समय डा. अम्बेडकर को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करते हुए कहते थे कि ‘‘देखा बाबा साहेब अंबेडकर अपनी महत्वाकांक्षा से कितना पढ़े। शिक्षा कोई एक ही वर्ग की ठेकेदारी नहीं है। एक गरीब का बच्चा भी अच्छी शिक्षा लेकर ढेर सारी डिग्रियाँ हासिल कर सकता है।’’ बाबा गाडगे ने अपने समाज में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए 31 शिक्षण संस्थाओं तथा एक सौ से अधिक अन्य संस्थाओं की स्थापना की। बाद में सरकार ने इन संस्थाओं के रख-रखाव के लिए एक ट्रस्ट बनाया —
------------------------------------------------------------
— मानवता के प्रचारक संत गाडगे बाबा डा. अम्बेडकर से किस हद तक प्रभावित थे, इसके बारे में चर्चा करते हुए संभवतः संघ लोक सेवा आयोग के प्रथम दलित अध्यक्ष डा. एम.एल. शहारे ने अपनी आत्मकथा ‘यादों के झरोखे’ में लिखा है कि ‘‘बाबा साहेब अम्बेडकर से गाडगे बाबा कई बार मिल चुके थे। वे बाबा साहेब के व्यक्तित्त्व एवं कृतित्व से प्रभावित हो चुके थे। बाबा साहेब और संत गाडगे बाबा ने साथ तस्वीर खिंचवायी थी  —
------------------------------------------------------------
 — आज भी कई घरों में ऐसी तस्वीरें दिखायी देती हैं संत गाडगे बाबा ने डा. बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा स्थापित पिपल्स एजुकेशन सोसाएटी को पंढरपुर की अपनी धर्मशाला छात्रावास हेतु दान की थी राष्ट्रीय संत गाडगे महाराज की कीर्तन शैली अपने आप में बेमिसाल थी। वे संतों के वचन सुनाया करते थे। विशेष रूप से कबीर, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर आदि के काव्यांश जनता को सुनाते थे। हिंसाबंदी, शराबबंदी, अस्पृश्यता निवारण, पशुबलिप्रथा आदि उनके कीर्तन के विषय हुआ करते थे।’’
------------------------------------------------------------
— आधुनिक भारत को जिन महापुरूषों पर गर्व होना चाहिए, उनमें राष्ट्रीय सन्त गाडगे बाबा का नाम सर्वोपरि है ! बीसवीं सदी के समाज-सुधार आन्दोलन में जिन महापुरूषों का योगदान रहा है, उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण नाम बाबा गाडगे का है —
------------------------------------------------------------
— साथियों मानवता के सच्चे हितैषी,सामाजिक समरसता के द्योतक यदि किसी को माना जाए तो वे थे संत गाडगे बाबा वास्तव में मानवता के प्रचारक संत गाडगे बाबा के जीवन,उनके कार्यों तथा उनके विचारों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। हम समाज और राष्ट्र को काफी कुछ दे सकते हैं। गाडगे बाबा ने अपने जीवन, विचार एवं कार्यों के माध्यम से समाज और राष्ट्र के सम्मुख एक अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया, जिसकी आधुनिक भारत को वास्तव में महती आवश्यकता है —
------------------------------------------------------------
— अगर देखा जाय तो बाबा गाडगे संत कबीर और रैदास की परंपरा में आते हैं। उनकी शिक्षाओं को देखकर ऐसा लगता है कि वे कबीर और रैदास से बहुत प्रभावित थे —
— यह संयोग ही है कि संत शिरोमणि रविदास जी महाराज और गाडगे बाबा की जयंती एक ही महीने में पड़ती है —
— मानवता के प्रचारक संत गाडगे बाबा महाराज का जीवन संघर्ष —
------------------------------------------------------------
महाराष्ट्र सहित समग्र भारत में सामाजिक समरता,राष्ट्रीय एकता, जन जागरण एवं सामाजिक क्राँति के के ध्वज वाहक संत गाडगे बाबा का जन्म 23,फरवरी,1876 ई0 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले की तहसील अंजन गांव सुरजी के शेगाँव नामक गाँव में अछूत समझी जाने वाली धोबी जाति के एक गरीब परिवार में हुआ था —
------------------------------------------------------------
— उनकी माता का नाम सखूबाई और पिता का नाम झिंगराजी था,बाबा गाडगे का पूरा नाम देवीदास डेबूजी झिंगराजी जाड़ोकर था। घर में उनके माता-पिता उन्हें प्यार से ‘डेबू जी’ कहते थे। डेबू जी हमेशा अपने साथ मिट्टी के मटके जैसा एक पात्र रखते थे। इसी में वे खाना भी खाते और पानी भी पीते थे। महाराष्ट्र में मटके के टुकड़े को गाडगा कहते हैं। इसी कारण कुछ लोग उन्हें गाडगे महाराज तो कुछ लोग गाडगे बाबा कहने लगे और बाद में वे संत गाडगे के नाम से प्रसिद्ध हो गये —
------------------------------------------------------------
— महाराष्ट्र सहित सम्पूर्ण भारत उनका सेवा-क्षेत्र था। गरीब उपेक्षित एवं शोषित मानवता की सेवा ही उनका धर्म था —
— राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा शिक्षा को मनुष्य की अपरिहार्य आवश्यकता के रूप में प्रतिपादित करते थे। अपने कीर्तन के माध्यम से शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये वे कहते थे ”शिक्षा बड़ी चीज है. पैसे की तंगी हो तो खाने के बर्तन बेच दो, औरत के लिये कम दाम के कपड़े खरीदो। टूटे-फूटे मकान में रहो पर बच्चों को शिक्षा दिये बिना न रहो।”
------------------------------------------------------------
— बाबा ने अपने जीवनकाल में लगभग 60 संस्थाओं की स्थापना की और उनके बाद उनके अनुयायियों ने लगभग 42 संस्थाओं का निर्माण कराया। उन्होनें कभी कहीं मन्दिर निर्माण नहीं कराया अपितु दीनहीन, उपेक्षित एवं साधनहीन मानवता के लिये स्कूल,धर्मशाला, गौशाला, छात्रावास, अस्पताल, परिश्रमालय, वृद्धाश्रम आदि का निर्माण कराया। उन्होंने अपने हाथ में कभी किसी से दान का पैसा नहीं लिया। दानदाता से कहते थे दान देना है तो अमुक स्थान पर संस्था में दे आओ — 
------------------------------------------------------------
— तथागत गौतम बुद्व की भाति पीड़ित मानवता की सहायता तथा समाज सेवा के लिये उन्होनें सन 1905 को गृहत्याग किया। एक लकड़ी तथा मिटटी का बर्तन जिसे महाराष्ट्र में गाडगा (लोटा) कहा जाता है, लेकर आधी रात को घर से निकल गये। दया, करूणा, भ्रातृभाव, सम-मैत्री, मानव कल्याण, परोपकार, दीनहीनों की सहायता आदि गुणों के भण्डार बुद्व के आधुनिक अवतार डेबूजी सन 1905 मे गृहत्याग से लेकर सन 1917 तक साधक अवस्था में रहे —
------------------------------------------------------------
— मानवता के प्रचारक संत गाडगे बाबा महाराज का दससूत्री संदेश —
------------------------------------------------------------
👉🏽1. भूखे को अन्न दो. स्वच्छता को अपनी आदत बनाओ.
👉🏽2. प्यासे को पानी पिलाओ.
👉🏽3. वस्त्रहीन को कपड़े पहनाओ.
👉🏽4. दीनों को शिक्षा में मदद करो.
👉🏽5. बेघरों को आसरा दो.
👉🏽6. अंध, पंगू, रोगी को दवा दो.
👉🏽7. दुखी व निराश लोगों को हिम्मत दो.
👉🏽8. बेकारों को रोजगार दो.
👉🏽9. पशु-पक्षी समेत सभी जीवों पर दया करो.
👉🏽10. गरीब युवक-युवती की शादी में सहायता करो.
------------------------------------------------------------
— संत गाडगे बाबा आजीवन सामाजिक अन्यायों के खिलाफ संघर्षरत रहे तथा अपने समाज को जागरूक करते रहे। उन्होंने सामाजिक कार्य और जनसेवा को ही अपना धर्म बना लिया था। वे व्यर्थ के कर्मकांडों, मूर्तिपूजा व खोखली परम्पराओं से दूर रहे। जाति प्रथा और अस्पृश्यता को बाबा सबसे घृणित और अधर्म कहते थे —
------------------------------------------------------------
    —संत गाडगे बाबा डा. बाबा साहेब अम्बेडकर के समकालीन थे तथा उनसे उम्र में पन्द्रह साल बड़े थे। वैसे तो गाडगे बाबा बहुत से राजनीतिज्ञों से मिलते-जुलते रहते थे लेकिन वे डा. आंबेडकर के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे 
— संत गाडगे बाबा के कार्यों की ही देन थी कि जहाँ डा. आंबेडकर तथाकथित साधु-संतों से दूर ही रहते थे,वहीं गाडगे बाबा का सम्मान करते थे। वे गाडगे बाबा से समय-समय पर मिलते रहते थे तथा समाज-सुधार सम्बन्धी मुद्दों पर उनसे सलाह-मशविरा भी करते थे —
------------------------------------------------------------
 — डा. आंबेडकर और गाडगे बाबा के सम्बन्ध के बारे में समाजशास्त्री प्रो. विवेक कुमार जीलिखते हैं कि ‘‘आज कल के बहुजन नेताओं को इन दोनो से सीख लेनी चाहिए !
 विशेषकर विश्वविद्यालय एवं कालेज में पढ़े-लिखे आधुनिक नेताओं को, जो सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा समाज-सुधार करने वाले मिशनरी तथा किताबी ज्ञान से परे रहने वाले बहुजन कार्यकर्ताओं को तिरस्कार भरी नजरों से देखते हैं और बस अपने आप में ही मगरूर रहते हैं —
------------------------------------------------------------
— क्या बाबा साहेब से भी ज्यादा डिग्रियाँ आज के नेताओं के पास है? बाबा साहेब संत गाडगे से आंदोलन एवं सामाजिक परिवर्तन के विषय में मंत्रणा करते थे। यद्यपि उनके पास किताबी ज्ञान एवं राजसत्ता दोनो थे। अतः हमें समझना होगा कि सामाजिक शिक्षा एवं किताबी शिक्षा भिन्न हैं और प्रत्येक के पास दोनों नहीं होती अतः इन दोनों प्रकार की शिक्षा में समन्वय की जरूरत है —
------------------------------------------------------------
— राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा और आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी की भेंट —
------------------------------------------------------------
— बाबा साहेब के जीवन में एकमात्र व्यक्ति संत गाडगे महाराज थे जिनको बाबा साहेब का जीवन्त गुरु कहा जा सकता है। बाबा साहेब ने पहली बार 12,जुलाई सन् 1949 को पण्डरपुर में संत गाडगे महाराज के दर्शन किये —
इस अवसर पर गाडगे बाबा ने बाबा साहेब का सार्वजनिक अभिनन्दन किया और उन्हें मराठी अभंग सुनाए —
------------------------------------------------------------
 — बोधिसत्व बाबा साहेब अम्बेडकर राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा महाराज के सामाजिक आन्दोलन से अत्यन्त प्रभावित थे और दोनों महापुरुषों के कई-कई बार मुलाकातों के विवरण अभिलिखित भी मिलते हैं तथा सुनने को भी मिलते हैं। स्वयं संत गाडगे बाबा महाराज ने कई-कई अवसरों पर बाबा साहेब का महान अनुमोदन किया तथा सार्वजनिक अभिनन्दन किया —
------------------------------------------------------------
—धोबी,रजक अथवा श्रीवास या कि कन्नौजिया समाज महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग के अन्तर्गत आता है संत गाडगे महाराज इसी समाज से थे लेकिन उनके अनुयायी सभी वर्गों से थे पण्डरपुर महाराष्ट्र का सर्वाधिक मान्यता वाला तीर्थ है जहाँ संत ज्ञानेश्वर की समाधि, आलन्दी से प्रतिवर्ष वारि आती है जिसमें लाखों श्रद्धालु पैदल पण्डरपुर आते हैं —
— वहाँ अछूतों के ठहरने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। संत गाडगे महाराज ने वहाँ एक धर्मशाला अछूतों के लिए बनवायी थी। रोचक बात यह है कि गाडगे बाबा पण्डरपुर में रहते थे लेकिन विट्ठल के दर्शन नहीं करते थे मगर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए झाड़ू हाथ में लेकर अपने शिष्यों के साथ मार्ग साफ करते रहते थे। बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में थी उनकी बनवायी धर्मशाला में सभी जाति-वर्ग के लोग बिना भेदभाव के ठहराए जाते थे —
------------------------------------------------------------
— वह धर्मशाला संत गाडगे महाराज ने सार्वजनिक रूप से बाबा साहेब को सामाजिक प्रकल्पों के लिए पीपुल एजुकेशन सोसाइटी को समर्पित कर दी। इस अवसर का एक प्रसंग बड़ा प्रसिद्ध है —
— पण्डरपुर में अपने हजारों अनुयायियों के सामने उन्होंने अपने हजारों शिष्यों से पूछा- तुमने भगवान के दर्शन किये हैं क्या?
------------------------------------------------------------
— सारे श्रद्धालुओं ने हाथ उठा कर कहा- नहींऽऽऽ…
तब संत गाडगे बाबा महाराज ने पूछा- तुम लोगों को भगवत्दर्शन करना है क्या?
— सारे श्रद्धालुओं ने एक स्वर में हामी भरी,तब राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा ने बाबा साहेब अम्बेडकर के कन्धे पर हाथ रखकर अपने श्रद्धालु अनुयायियों से कहा- यह तुम्हारा भगवान है,तुम्हारे उद्धार के लिए आया है यह बहुत बड़ी साहसिक व क्रान्तिकारी बात थी भरी सभा में एक संत ने बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धा के शिखर पर आसीन कर दिया और बाबासाहेब अम्बेडकर का कथन है कि महात्मा ज्योतिबा फूले के बाद भारतीय इतिहास में मानवता के प्रचारक गाडगे बाबा महानतम संत हैं —
------------------------------------------------------------
—डा विमलकीर्ति रचित संत गाडगे महाराज की एक सचित्र जीवनी सम्यक प्रकाशन ने प्रकाशित की है जिसमें बाबा के जीवन को संक्षेप में लेकिन सारगर्भित स्वरूप में प्रस्तुत किया है। डा विमलकीर्ति लिखते हैं —
“गाडगे बाबा के अपने समकालीन कई नेताओं से किसी न किसी रूप में अच्छे सम्बन्ध थे। लेकिन उनके डा बाबा साहेब अम्बेडकर के साथ जितने अच्छे सम्बन्ध थे, वैसे सम्बन्ध अन्य किसी नेता से नहीं थे। गाडगे बाबा और डा अम्बेडकर एक दूसरे से कई बार मिले थे उन दोनों में सुसंवाद भी हुआ था डा अम्बेडकर गाडगे बाबा के कार्यों के प्रशंसक थे,वैसे ही गाडगे बाबा भी डा अम्बेडकर के कार्यों के प्रशंसक थे। गाडगे बाबा ने पण्डरपुर की धर्मशाला, जो अछूतों के लिए बनायी थी, डा अम्बेडकर के अधीन कर दी थी।”
------------------------------------------------------------
— उसी पुस्तक में डा विमलकीर्ति जिक्र करते हैं —
“संत गाडगे बाबा दादर में डा महाजनी के यहाँ बीमार अवस्था में थे तब महानन्दसामी ने बाबा के बीमार होने की खबर बाबा साहेब अम्बेडकर को दी —
— बाबा साहेब अम्बेडकर उस समय भारत के कानून मंत्री थे उनको शाम को ही दिल्ली जाना था कुछ ही समय में उनको स्टेशन पहुँचना था, ट्रेन के लिए ज्यादा देर नहीं थी लेकिन संत गाडगे बाबा की बीमारी की खबर मिलते ही बाबासाहेब अम्बेडकर खड़े हो गये और कहा, “तो फिर मुझे उनके दर्शन करने ही चाहिए।” और उन्होंने दो कम्बल साथ में लिये और महानन्दसामी के साथ वे डा महाजनी के घर गये —
------------------------------------------------------------
— जैसे ही उनको पता चला कि बाबासाहेब अम्बेडकर आए हैं, संत गाडगे बाबा बिस्तर से उठ कर बैठ गये और बोले, ” आप क्यों आए? आपका एक-एक मिनट बड़ा कीमती है —
— हम फ़कीर हैं आपका कितना बड़ा अधिकार है ” 
बाबा साहेब डा अम्बेडकर बोले, ” बाबा,हमारा अधिकार दो दिन का है कल कुर्सी से हटे तो हमें कौन पूछने वाला है? — — आपका अधिकार अमर है।” उस समय कर्मवीर भाऊराव पाटील, दिवान बहादुर जगताप भी संत गाडगे बाबा से मिले थे इन सभी के सामने बाबा ने पण्डरपुर की धर्मशाला डा अम्बेडकर को सौंपी।”
------------------------------------------------------------
— बुद्ध धम्म स्वीकार करने का अपने जीवन का सबसे अहम फैसला लेते समय भी बाबा साहेब ने संत गाडगे महाराज से गहन मंत्रणा की। डा विमलकीर्ति ने ही उल्लेख किया है — “गाडगे बाबा मुम्बई के जे जे हास्पिटल के पास की धर्मशाला में चल रहे स्कूल की देखभाल कर रहे थे। डा अम्बेडकर ने उनके पास अपने एक दूत को भेजा। डा अम्बेडकर गाडगे बाबा से धर्मान्तरण के बारे में चर्चा करना चाहते थे। बाबा तुरन्त कुलाबा में डा अम्बेडकर से मिलने को गये। इस सम्बन्ध में गाडगे बाबा ने डा अम्बेडकर से बड़े विस्तार से बात की।”
------------------------------------------------------------
— इस अवसर पर बाबा साहेब ने राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा को अवगत कराया: “बाबा, मैं सभी शोषितों को लेकर बुद्ध की शरण में जाऊंगा नागपुर में यह समारम्भ होने वाला है हमें आपका आशीर्वाद चाहिए।”संत गाडगे बाबा ने बाबा साहेब डा अम्बेडकर के कार्य की मंगलकामना की और नमस्कार कर वहाँ से चले गये —
------------------------------------------------------------
— संत गाडगे महाराज के पौत्र श्री हरिनारायण सुखदेव राव जानोरकर ने बताया कि संत गाडगे बाबा स्वयं दीक्षा समारोह में अपने लाखों अनुयायियों के साथ सम्मिलित होना चाहते थे लेकिन स्वास्थ्य शिथिल होने के कारण वे इस ऐतिहासिक घटना में शामिल नहीं हो सके थे, मगर उनका पूरा आशीर्वाद बाबा साहेब के साथ था। गाडगे बाबा बोधिसत्व बाबा साहेब से उम्र में पन्द्रह साल बड़े थे। गाडगे बाबा के पास अक्षर ज्ञान नहीं था लेकिन जो ज्ञान था वह अक्षर था —
------------------------------------------------------------
— श्री हरिनारायण सुखदेव राव जानोरकर जी बताते हैं कि गाडगे बाबा को बाबा साहेब ने पूर्व में भी एक अवसर पर अवगत कराया था कि उन्होंने छुआ-छूत के धर्म को त्याग देने का निर्णय लिया है तब गाडगे बाबा ने एक महत्वपूर्ण बात कही थी- बाबा साहेब, मुझे विश्वास है कि आप जो भी निर्णय लेंगे वह भारत के अछूत व पिछड़े वर्गों के हित में होगा, मेरा बस एक सुझाव है कि जो भी धर्म चुनियेगा भारतीय मूल का चुनियेगा, इससे भारतीयता सुरक्षित रहेगी।”
------------------------------------------------------------
— कहने की आवश्यकता नहीं कि बुद्ध धम्म स्वीकार कर बोधिसत्व बाबासाहेब अम्बेडकर ने न केवल राष्ट्र का गौरव बढ़ाया बल्कि राष्ट्रीयता को सुरक्षित भी किया —
— 6 दिसम्बर’1956 को बोधिसत्व बाबा साहेब के परिनिर्वाण की खबर सुन कर राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा महाराज अत्यन्त व्यथित हो गये और उन्होंने उस दिन से भोजन छोड़ दिया तथा मात्र चौदह दिन के बाद संत गाडगे महाराज ने भी शरीर छोड़ दिया — 
— संत गाडगे अपने अनुयायियों से सदैव यही कहते थे कि मेरी जहां मृत्यु हो जाय, वहीं पर मेरा अंतिम संस्कार कर देना. मेरी मूर्ति, मेरी समाधि, मेरा स्मारक या मंदिर नहीं बनाना. मैंने जो सेवा की है, वही मेरा सच्चा स्मारक है. जब बाबा की तबीयत बिगड़ी, तो चिकित्सकों ने उन्हें अमरावती ले जाने की सलाह दी, किन्तु वहां पहुचने से पहले बलगाव के पास पिढ़ी नदी के पुल पर 20 दिसंबर 1956 को रात्रि 12 बजकर 20 मिनट पर उनका परिनिर्वाण हो गया —
------------------------------------------------------------
— यह संयोग ही है कि डा. अम्बेडकर की मृत्यु के मात्र 14 दिन बाद ही गाडगे बाबा ने भी जनसेवा और समाजोत्थान के कार्यों को करते हमेशा के लिए आँखें बंद कर लीं —
— जहां संत गाडगे बाबा महाराज का अंतिम संस्कार किया गया आज वह स्थान गाडगे नगर के नाम से जाना जाता है. मानवता के पुजारी दीनहीनों के सहायक संत गाडगे बाबा में उन सभी सन्तेचित महान गुणों एवं विशेषताओं का समावेश था जो एक मानवसेवी राष्ट्रीय संत की कसौटी के लिये अनिवार्य है —
------------------------------------------------------------
--------------- जय संत गाडगे बाबा -------------
संत गाडगे बाबा द्वारा स्थापित विभिन्न लोकोपयोगी संस्थाएं
------------------------------------------------------------
      1-गाडगे महाराज मराठा ट्रस्ट ( स्थापना 1920 ) खर्च 2 लाख रुपए,इस धर्मशाला में अंधे , लंगड़े - लूले,कोढ़ी और निराश्रित सभी जाति ,धर्म के लोगों को एक समय मुफ्त खाना दिया जाता था,फिरहाल अभी यह बंद है मेले के समय धोती - चादर,साड़ी,टोपी ,कम्बल,कटोरे,लोटे- गिलास आदि गरीबों को बांटे जाते थे.
2-परीट धर्मशाला पंढरपुर,केवल धोबी समाज के लोगों ने 24 हजार रुपए इकट्ठे करके यह धर्मशाला बनवाई है.
3 -वंजारी धर्मशाला पंढरपुर , यह धर्मशाला गाडगे बाबा मराठा धर्मशाला के पास है.
------------------------------------------------------------
4-अजामेला धर्मशाला पंढरपुरपुर,( केवल मातंग ) बहुजन समाज के लिए यह धर्मशाला बनवाई थी.
5-कैकाडी बुबा धर्मशाला पंढरपुर ,( बाबा के एक भक्त ) कैकाडी महाराज ने यह धर्मशाला बनवाई थी.
6-चोखामेला धर्मशाला पंढरपुर ( स्थापना सन् 1970 ) खर्च 11 लाख रुपए.
7-मराठा धर्मशाला आलंदी ( स्थापना 1930 ) खर्च 1 लाख रुपए.
8 -परीट धर्मशाला आलंदी जिला पूना .
9 -मराठा धर्मशाला देहू जिला पूना संत तुकारामजी के वंशज बाबा साहब इनामदार जी ने धर्मशाला के लिए जमीन बिना मूल्य दी थी,सन् 1930 में यह धर्मशाला तैयार हुई .
10 -भंडारा डोंगर धर्मशाला देहू.
------------------------------------------------------------
11 -मराठा धर्मशाला पूना, यह धर्मशाला पूना शहर के सोमवार पेठ में है,रामचन्द्र अर्काल पेंशनवर पुलिस इन्स्पेक्टर ने जगह दी थी,यह सन् 1940 में बनी,खर्च डेढ़ लाख रुपए.
12 -मराठा धर्मशाला लायब्रेरी पूना.
13-मराठा धर्मशाला नासिक ,( स्थापना सन् 1930 ),खर्च 3 लाख रुपए ,यहां पर पहले अंधे , लंगड़े - लूलों को भोजन ,खजूर , अंगूर आदि बांटे जाते थे,इस कार्य के लिए प्रताप सेठ से 1 लाख 25 हजार रुपये सेवार्थ मिलते थे.
14 -मराठा धर्मशाला लायब्रेरी नासिक,काशीवाई मगुणराव दामोलकर नामक गरीब महिला ने मेहनत मजदूरी करके आठ हजार रुपए दिए थे,बाबासाहेब तखंडर ने तीन हजार रुपयों की पुस्तकें भेंट दी थीं.
------------------------------------------------------------
15-नासिक नगर पालिका को बाबा ने एक जगह साफ करके उस पर कमरे बनाकर दिए,दस हजार रुपए खर्च हुए,आज इस जगह पर सुंदर बगीचा है .
16- प्रसुतिगृह मराठा धर्मशाला नासिक में एक जगह पर जच्चाखाना.
17 -कुष्ठ -धाम -कोढ़ियों के लिए एक कुष्ठ - धाम बनाया गया है .
18 -दत्त मन्दिर,नासिक, मिमाबाई सावंत ने दत्त मन्दिर बनवाया है ,नासिक-धर्मशाला के पास ही यह मन्दिर है.(बाबा के अनुयायियों यह मंदिर निर्माण बाबा के मिशन के खिलाफ है).
19-गाडगे महाराज कलईपाल धर्मशाला त्र्यंबूकेश्वर नासिक खर्च 20 हजार ( स्थापना सन 1948 )....क्रमश----
------------------------------------------------------------
     — साथियों भारत भूमि पर यूं तो तमाम संतों,महापुरुषों,महात्मा हुए हैं, जिन्होंने समाज हित के लिए कार्य किया, लेकिन उनमें से एक बहुजन क्रांति के अग्रदूत,सामाजिक न्याय के पुरोधा संत गाडगे बाबा जी का अपना अलग ही अंदाज था —
— संत बाबा गाडगे जी महाराज को उच्च शिक्षा ना पाने का अंत समय तक दुःख रहा इसलिए वो चाहते थे कि बहुजन समाज पूर्ण रूप से शिक्षित हो जाये —
------------------------------------------------------------
— भारतीय समाज में अगर किसी को स्वच्छता का प्रतीक कहा जाए तो वो राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा जी ही हैं. उन्होंने झाड़ू, श्रमदान और पुरूषार्थ को अपना हथियार ही नहीं बल्कि उद्देश्य भी बनाया, जिसको लोगों ने सराहा और अपनाया भी. वह अचानक किसी गांव में पहुंच जाते और वहां झाड़ू से सफाई करने लगते, गांव के लोग उनके पास आकर मदद करने लगते. इस तरह वह एक गांव की सफाई कर दूसरे गांव की ओर निकल पड़ते थे और स्वच्छता का संदेश देते रहते  —
------------------------------------------------------------
 — आज जब सरकारें तमाम स्वच्छता अभियान चला रही है और उसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, तब आप कल्पना कर सकते हैं कि संत गाडगे उस दौर में ही स्वच्छता को लेकर कितने सजग थे —
— राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा के सम्मान में महाराष्ट्र सरकार ने जिला अमरावती में वर्ष 1983 में ‘संत गाडगे महाराज विश्वविद्यालय’ की स्थापना की। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में 20 दिसम्बर’1998 को एक डाक टिकट जारी किया तथा वर्ष 2001 से महाराष्ट्र सरकार ने ‘संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान’ शुरू किया उत्तर भारत एवं उत्तर भारत का कन्नौजिया समाज, रजक समाज, श्रीवास समाज अभी संत गाडगे महाराज के जीवन परिचय एवं उनकी महानता से लगभग अनभिज्ञ-सा है। समय आ गया है कि संत गाडगे महाराज के अधूरे सपनों को समाज पूरा करे —
------------------------------------------------------------
— गाडगे बाबा आजीवन सामाजिक अन्यायों के खिलाफ संघर्षरत रहे तथा अपने समाज को जागरूक करते रहे। उन्होंने सामाजिक कार्य और जनसेवा को ही अपना धर्म बना लिया था वे व्यर्थ के कर्मकांडों, मूर्तिपूजा व खोखली परम्पराओं से दूर रहे। जाति प्रथा और अस्पृश्यता को बाबा सबसे घृणित और अधर्म कहते थे —
— आज संत गाडगे महाराज जी का शरीर हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं, महाराज जिससे हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है। बाबा का जीवन और कार्य केवल महाराष्ट्र के कालिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है —
------------------------------------------------------------
— वास्तव में संत गाडगे बाबा एक व्यक्ति नहीं, बल्कि अपने आप में एक संस्था थे। वे एक महान संत ही नहीं, बल्कि एक महान समाजसुधारक भी थे। उनके समाज-सुधार सम्बन्धी कार्यों को देखते हुए ही डा. अम्बेडकर ने उन्हें जोतिबा फुले  के बाद सबसे बड़ा त्यागी, जनसेवक कहा था,जो उचित ही था —
— उत्तर भारतीयों का संत गाडगे बाबा से साक्षात्कार बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब और द आयरनलेडी बहन मायावती जी ने कराया। वे संत गाडगे की जयंती एवं परिनिर्वाण दिवस मनाने के लिए धोबी समाज को प्रेरित करते आये हैं अपने संघर्षो के दिनों से —
------------------------------------------------------------
— लेकिन आज भी पिछड़े,शोषित, आदिवासी समाज गरीबी अशिक्षा के अभाव में गुलामी का जीवन जी रहे हैं  इसके हम लोग दोषी है बाबा साहेब आंबेडकर जी ने हमें वोट का अधिकार दिलाया क्यूं नहीं हम लोग अपने वोट की ताकत से ऐसी सरकार बनाये जो हमारे बारे में सोचें समनता समानता की बात करें —
------------------------------------------------------------
— भारत वर्ष का जनमानस सदैव ,सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,परमपूज्य  संत गाडगे बाबा महाराज जी का कृतज्ञ रहेगा इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत,सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,परमपूज्य  संत गाडगे बाबा महाराज जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं —
------------------------------------------------------------
— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहबजी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —
------------------------------------------------------------
—— आवो जानें पे बैक टू सोसायटी क्या ——
—— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय,ज्ञान,बुद्धि, पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
—— तुम्हारें अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं दुबारा नहीं आऊंगा,ये क्रांति का रथ संघर्षो का कारवां ,जो मैं बड़े दुखों,कष्टों को सहकर यहाँ तक ले आया हूँ,अब आगे तुम्हे ही ले जाना है  ——
—— साथियों बाबा साहेब जी अपने अंतरिम दिनोँ में अकेले रोते हुऐ पाए गए। बाबा साहेब अम्बेडकर जी से जब काका कालेलकर कमीशन 1953 में मिलने के लिए गया ,तब कमीशन का सवाल था कि आपने पूरी जिन्दगी पिछड़े,शोषित,वंचित वर्ग समाज  के उत्थान के लिए लगा दी काका कालेकर कमीशन ने पूछा बाबा साहेब जी आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए बाबा साहेब ने जवाब दिया कि पिछड़े,शोषित,वंचित समाज का उत्थान करना है तो इनके अंदर बड़े लोग पैदा करने होंगें ——
------------------------------------------------------------
—— काका कालेलकर कमीशन के सदस्यों को यह बात समझ नहीं आई  तो उन्होने फिर सवाल किया “बड़े लोग से आपका क्या तात्पर्य है ? " बाबा साहेब जी ने जवाब दिया कि अगर किसी समाज में 10 डॉक्टर , 20 वकील और 30 इन्जिनियर पैदा हो जाऐ तो उस समाज की तरफ कोई आंख ऊठाकर भी देख नहीं सकता !"
—— इस वाकये के ठीक 3 वर्ष बाद 18 मार्च 1956 में आगरा के रामलीला मैदान में बोलते हुऐ बाबा साहेब ने कहा "मुझे पढे लिखे लोगों ने धोखा दिया। मैं समझता था कि ये लोग पढ लिखकर अपने समाज का नेतृत्व करेगें , मगर मैं देख रहा हुँ कि  मेरे आस-पास बाबुओं की भीड़ खड़ी हो रही है जो अपना ही पेट पालने में लगी है !" 
—— साथियों बाबा साहेब अपने अन्तिम दिनो में अकेले रोते हुए पाए गए ! जब वे सोने की कोशिश करते थे तो उन्हें नींद नहीं आती थी,अत्यधिक परेशान रहने वाले थे बाबा साहेब के निजी सचिव  नानकचंद रत्तु ने बाबा साहेब जी से सवाल पुछा कि , आप इतना परेशान क्यों रहते है बाबा साहेब जी ? ऊनका जवाब था , " ——
------------------------------------------------------------
—— नानकचंद , ये जो तुम दिल्ली देख रहो हो अकेली दिल्ली में 10,000 कर्मचारी ,अधिकारी यह केवल अनुसूचित जाति के है  ! जो कुछ साल पहले शून्य थे मैँने अपनी जिन्दगी का सब कुछ दांव पर लगा दिया,अपने लोगों में पढ़े लिखे लोग पैदा करने के लिए क्योंकि  मैं जानता था कि जब मैं अकेल पढ लिख कर इतना काम कर सकता हुँ  अगर हमारे हजारों लोग पढ लिख जायेगें तो बहुजन समाज में कितना बड़ा परिवर्तन आयेगा लेकिन नानकचंद,मैं जब पुरे देश की तरफ निगाह दौड़ाता हूँ हूँ तो मुझे कोई ऐसा  नौजवान नजर नहीं आता है,जो मेरे कारवाँ को आगे ले जा सकता है नानकचंद,मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा है ,जब मैं अपने मिशन के बारे में सोचता हुँ,तो मेरा सीना दर्द से फटने लगता है ——
------------------------------------------------------------
—— जिस महापुरुष ने अपनी पुरी जिन्दगी,अपना परिवार ,बच्चे आन्दोलन की भेँट चढाए,जिसने पुरी जिन्दगी इस विश्वास में लगा दी  कि , पढा -लिखा वर्ग ही अपने शोषित वंचित भाइयों को आजाद करवा सकता हैं जिन्होंने अपने लोगों को आजाद कर पाने का मकसद अपना मकसद बनाया था,क्या उनका सपना पूरा हो गया ? आपके क्या फर्ज  बनते हैं समाज के लिए ?
—— सम्मानित साथियों जरा सोचो आज बाबा साहेब की वजह से हम ब्रांडेड कपड़े, ब्रांडेड जूते, ब्रांडेड मोबाइल, ब्रांडेड घड़ियां हर कुछ ब्रांडेड इस्तेमाल करने के लायक बन गए हैं बहुत सारे लोग बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब पर सैकड़ों रुपये बर्बाद करते हैं ! इस पर औसतन 500 रुपये खर्च आता है,चाउमीन, गोलगप्पे, सूप आदि पर हरोज 20 से 50 रुपये खर्च आता है। महिने में ओसतन 600 से 1500 रुपये तक खर्च हो सकते हैं ——
------------------------------------------------------------
—— बाबा साहेब के अधिकारों,संघर्षो,प्रावधानों की वजह से जो लोग इस लायक हो गए हैं  हम लोगों पर बाबा साहेब ने विश्वास नहीं किया क्योंकि हमने बाबा साहेब के साथ विश्वासघात किया था ! उनके द्वारा दिखाए गए सपनों से हम दूर चले गए नौकरी आयी और आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी को भूल गए —— 
——"हमारे उपर बाबा साहेब का बहुत बड़ा कर्ज है, 
क्या आप उसे उतार सकते हैं,नहीं रत्तीभर भी नहीं हम जिस शख्स ने इस देश के शोषित,वंचित, पिछले, समाज,सर्वसमाज,महिलाओं भारतवर्ष के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी,अपने बच्चे,पत्नी अपने सुख चैन सब कुछ कुर्बान कर दिया जरा सोचो किसके लिए आप लोगों के लिए और हम लोग क्या कर रहें हैं टीवी,बीवी में मस्त है मिशन को भूल गये ——
------------------------------------------------------------
—— लेकिन हमें फिर से पहले की तरह बाबा साहेब को धोखा नहीं देना चाहिए,पढ़े-लिखे लोगो अपने उपर से धोखेबाज का लेबल उतारो और बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाओ ——
——आपके बीड़ी, सिगरेट पर खर्च होने वाले 15 रुपये से न जाने कितने बच्चों को शिक्षा मिल सकती है,आपके फास्टफूड पर खर्च होने वाले 50 रुपये से न जाने कितने गरीब लोगों को दवाई मिल सकती है !आपके इन पैसों से न जाने कितने मिशनरी साथियों का खर्च चल रहा है जो पूरा जीवन समाज सेवा मे लगा रहे हैं ——
------------------------------------------------------------
—— जरा अपने दिल पर हाथ रख कर कहो तुम क्या बाबा साहेब के पे बैक टू सोसाइटी सिद्धांत पर चल रहे हो ——
—— केवल भंडारे देना,चंदा देना,कार्यक्रम करना,ठंडे पानी की स्टाल लगाना पे बैक टू सोसाइटी नहीं है ——
——अपने जैसे सक्षम लोग पैदा करना पे बैक टू सोसाइटी है गरीब बच्चों को शिक्षित करना पे बैक टू सोसाइटी है,शिक्षित लोगों को नौकरियां दिलाना डाक्टर है ——
——बहुजनों को वैज्ञानिक,इंजिनियर,वकील,शिक्षक,डाक्टर इत्यादि बनाना पे बैक टू सोसाइटी है.बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए लगे हुए मिशनरियों को मदद देना असली पे बैक टू सोसाइटी है ——
—— आप जो पोजिशन पर है आपका फर्ज बनता है कि मेरे समाज का हर बच्चा उस पोजिशन पर पहुंचे यह पे बैक टू सोसाइटी है,अतः हम पढे-लिखे, नौकरीपेशा समाज से अपील करते हैं कि आप अपने उपर लगे धोखेबाज के लेबल को उतारने की कोशिश करें आपने ग़ैर-भाई बहनों के पास जाओ,उनकी ऊपर उठने में मदद करें,अपने उद्योग धंधे, व्यापार आदि शुरू करें, अपने आप को बेरोजगार बहुजनों के लिए रोजगार की व्यवस्था करें,अपना व्यवसाय शुरू करें, अपने समाज का पैसा अपने समाज में रोकें ——
------------------------------------------------------------
 —— प्रयत्न करें,जब तक बाबा साहेब का पे बैक टू सोसाइटी  का सिद्धांत लागू नहीं होगा तब तक देश से गरीबी नहीं मिटेगी ——
——  साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट {संदर्भ- सलेक्टेड ऑफ डाँ अम्बेडकर – लेखक डी.सी. अहीर पृष्ठ क्रमांक 110 से 112 तक के भाषण का हिन्दी अनुवाद), श्री गुरु रविदास जन-जागृति एवं शिक्षा समिति,(राजी),दलित दस्तक ,समय बुद्धा,,पुस्तक-'डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर के महत्वपूर्ण संदेश एवं विद्वत्तापूर्ण कथन' के थर्ड कवर पृष्ठ से,लेखक-नानकचंद रत्तू-अनुवादक-गौरव कुमार रजक, अंकित कुमार गौतम,संपादन-अमोल वज्जी,प्रकाशक-डी के खापर्डे मेमोरियल ट्रस्ट (पब्लिकेशन डिवीजन)527ए, नेहरू कुटिया, निकट अंबेडकर पार्क, कबीर बस्ती, मलका गंज, नई दिल्ली -07, विकिपीडिया} ——
------------------------------------------------------------
        —"सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,मानवता के प्रचारक संत गाडगे बाबा महाराज के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं —
   — साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —  
------------------------------------------------------------
— साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं. 
 ------------------------------------------------------------
      — जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान —
------------------------------------------------------------
  — सच  अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
------------------------------------------------------------
     ―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के  बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया ——
------------------------------------------------------------
   ―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
------------------------------------------------------------
   —— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
      —―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है ——
------------------------------------------------------------
      —– साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था ——
------------------------------------------------------------
       ―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
      ―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"
------------------------------------------------------------
       ―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए —
        ―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम —
------------------------------------------------------------
             ―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर  जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
        ― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे,सकते हैं —
------------------------------------------------------------
           ―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
------------------------------------------------------------
     ―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद   रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं —
------------------------------------------------------------
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय आई साहेब जीजाबाई 
जय ज्योतिबा फुले 
जय सावित्रीबाई फुले
जय आई साहेब रमाबाई अम्बेडकर 
जय ऊदा देवी पासी 
जय झलकारी बाई कोरी
जय बाबा तिलका मांझी 
------------------------------------------------------------
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी 
जय कर्पूरी ठाकुर 
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
------------------------------------------------------------
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया —
 ------------------------------------------------------------
              अमित गौतम
             युवा सामाजिक
                कार्यकर्ता         
              बहुजन समाज
  जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर
           सम्पर्क सूत्र-9452963593





टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पेरियार ई.वी रामास्वामी नायकर परिनिर्वाण दिवस पर शत् नमन एंव विनम्र श्रद्धांजलि

बहुजन जननायक अमर शहीद गुंडाधुर