मानवता के प्रचारक,भेदभाव पांखडवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने करने वाले कवि,समाज सुधारक,महान क्रांतिकारी,समता समानता के पक्षधर सांप्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक,मार्गदर्शक,मानवता के प्रचारक,सतगुरू संत कबीरदास जी महाराज स्मृति दिवस पर शत्-शत् नमन



   — माघ शुक्ल एकादशी संत सतगुरू कबीरदास —
              — महाराज परिनिर्वाण दिवस —
              वो थे इसलिए आज हम हैं 
                    इतिहास के पन्नों से
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15 वीं-16 वीं शताब्दी के मानवता के प्रचारक,भेदभाव पांखडवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने करने वाले कवि,समाज सुधारक,महान क्रांतिकारी,समता समानता के पक्षधर सांप्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक,मार्गदर्शक,मानवता के प्रचारक,सतगुरू संत कबीरदास जी महाराज स्मृति दिवस पर शत्-शत् नमन एंव विनम्र श्रद्धांजलि — 
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— उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री बहन कु.मायावती जी ने 5,सितंबर,1997 के अपने शासनकाल में सतगुरू संत कबीरदास जी महाराज के सम्मान में बस्ती जिले के कुछ भागों को अलग करके संतकबीर नगर नाम का एक नया जिला बनाया था.साथ ही बहन मायावती जी ने समाधिस्थल के पास सतगुरू संत कबीरदास जी महाराज की एक कांस्य प्रतिमा का अनावरण भी किया था —
— नए जिले में बस्ती जिले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती जिले का तहसील था —
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— सतगुरु संत कबीरदास जी जीवन भर एक ऐसे आदर्श समाज की संरचना एवं संभाल में संलग्न रहे जहां घृणा, भेदभाव और वैमनस्य नहीं था, समता और एकता का ही बोलबाला था —
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— सतगुरू सन्त कबीरदास जी महाराज के मन में समाज में व्याप्त कुरीतियों भेदभाव,पांखडवाद,गैर बराबरी व्यवस्था  के प्रति आक्रोश था.वह सामाजिक कुरीतियों,वाह्य आडम्बर एवं रूढ़ियों के खिलाफ एक क्रान्तिकारी परिवर्तन की मांग करते थे ! उनका स्पष्ट मानना था कि जब तक समाज में वैज्ञानिक सोच पैदा नहीं होगी,वैचारिक विमर्श नहीं होगा.और जब तक यथार्थ की व्यवहारिक पहल नहीं होगी, तब तक इंसान पराधीनता से मुक्ति नहीं पा सकता है —
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— झुको नही,बिको नहीं,रुको नही,हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो, फैसला करो हुकमरान बनो —
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— सम्मानित साथियों सतगुरू,संत कबीर जी महाराज की अंधविश्वास पर चोट 🔨🔨
— पाथर पूजे हरी मिले,तो मैं पूजूं पहाड़.घर की चक्की कोई न पूजे,जाको पीस खाये संसार —
—सतगुरू सन्त शिरोमणि कबीरदास जी महाराज समाज में फैली जाति-पाति, छुआछूत, धर्म-सम्प्रदाय, वर्ण विशेष जैसी भयंकर बुराइयों से बेहद दुखी थे !समाज से इन बुराइयों को जड़ से समाप्त करने के लिए सन्त कबीरदास जी महाराज ने हमेशा संघर्ष किया —
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— सन्त कबीरदास जी महाराज ने अपनी वाणी एवं सदुपदेशों के जरिए समाज में एक नई चेतना का संचार किया। उन्होंने लोगों को पाखण्ड एवं अंधविश्वास छोड़कर सच्चाई के पथ पर आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया —
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— सतगुरु संत कबीरदास जी महाराज मध्यकालीन संतों, जिसमें तुकाराम, नरसी-दादू, मेहता, गुरूनानक,संत शिरोमणि रविदास जी महाराज चोखा मेला,पीपादास आदि शामिल है, इन सन्तों में संत शिरोमणि सदगुरू रविदास जी महाराज का स्थान श्रेष्ठ है.इसी कारण उनको सतगुरू संत भी कहा जाता है.चेतना, जन आन्दोलन, समतामूलक समाज की परिकल्पना, मानव सेवा आदि क्रान्तिकारी परिवर्तन के लिए सतगुरू सन्त रविदास जी महाराज जी का नाम बड़े आदर तथा सम्मान के साथ लिया जाता है —
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 — सतगुरू कबीरदास जी महाराज सामाजिक सुधार के लिए जीवन पर्यन्त जूझते तथा रचनात्मक प्रयत्न करते रहे ! सामाजिक समानता, समरसता लाने के लिए वो अपनी वाणियों के माध्यम से तत्कालीन शासकों को भी सचेत करते रहे. घृणा और सामाजिक प्रताड़नाओं के बीच सन्त कबीरदास जी ने पांखड और भेदभाव मिटाकर प्रेम तथा एकता का संदेश दिया —
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— उन्होंने जो उपदेश दिये दूसरों के कल्याण व भलाई के लिए दिये और उनकी चाहत एक ऐसा समाज की थी जिसमें राग,द्वेष,भेदभाव,पांखडवाद ईर्ष्या,दुख,कुटिलता का समावेश न हो
— सतगुरू सन्त कबीरदास जी महाराज अपने समय से बहुत आगे थे ! वह समतामूलक समाज की कल्पना करते थे और मानते थे कि यह तभी संभव है जब सभी के सुख-दुःख का ख्याल रखा जाए. अज्ञानता के कारण प्रभाव स्थापित करने में लोग विभेद करते हैं ! सतगुरू श्री संत कबीरदास जी महाराज कहते हैं कि सभी जन एक ही मिट्टी के बने हैं और सभी के लिए ज्ञान का मार्ग खुला हुआ है —
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— ऐसे युगपुरूष,सामाजिक क्रांति के मशीहा,महान संत,कवि,महान समाज सुधार, सतगुरू संत कबीर जी महाराज के चरणों में श्रद्धा के अर्पित करते हुए कोटि-कोटि नमन — 
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— साथियों अब से छह सौ वर्ष पहले पर्यावरण समस्या जैसी कोई बात नहीं थी, लेकिन तब सतगुरु संत कबीर जी महाराज ने वृक्ष, नदी, पहाड़, वन-पर्वतों के संरक्षण की बात कही है। 'वृक्ष कबहुं नहिं फल भखैं, नदी न सिंचै नीर..' यही नहीं, जल ही जीवन है का नारा भी उन्होंने दिया  —
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— साथियों सामाजिक जागरण के अग्रदूत थे संत कबीरदास जी महाराज.सतगुरू संत कबीर दास के दोहे गागर में सागर के समान हैं। उनका गूढ़ अर्थ समझ कर यदि कोई उन्हें अपने जीवन में उतारता है तो उसे निश्चय ही मन की शांति की प्राप्ति होगी —
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— पोथी पढि-पढि जग मुआ, पण्डित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पण्डित होय।।
अर्थ-बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा —
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— तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
अर्थ: कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है। यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है —
— जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान
अर्थ: सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए। तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का – उसे ढकने वाले खोल का —
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— कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई.बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई —
अर्थ:कबीर कहते हैं कि समुद्र की लहर में मोती आकर बिखर गए। बगुला उनका भेद नहीं जानता, परन्तु हंस उन्हें चुन-चुन कर खा रहा है। इसका अर्थ यह है कि किसी भी वस्तु का महत्व जानकार ही जानता है —
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— बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर —
अर्थ:  खजूर के पेड़ के समान बड़ा होने का क्या लाभ, जो ना ठीक से किसी को छाँव दे पाता है और न ही उसके फल सुलभ होते हैं !
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— ऊंचे कुल क्या जनमिया जे करनी ऊंच न होय.सुबरन कलस सुरा भरा साधू निन्दै सोय —
अर्थ: यदि कार्य उच्च कोटि के नहीं हैं तो उच्च कुल में जन्म लेने से क्या लाभ? सोने का कलश यदि सुरा से भरा है तो साधु उसकी निंदा ही करेंगे — 
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— रात गंवाई सोय कर दिवस गंवायो खाय.हीरा जनम अमोल था कौड़ी बदले जाय — 
अर्थ: रात सो कर बिता दी,  दिन खाकर बिता दिया हीरे के समान कीमती जीवन को संसार के निर्मूल्य विषयों की – कामनाओं और वासनाओं की भेंट चढ़ा दिया – इससे दुखद क्या हो सकता है ?
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— पढि-पढि के पाथर भया, लिखि लिखि भया जूँ ईंट. ढाई आखर प्रेम का, लगि न अंतर छींट।।
— साथियों सतगुरू कबीरदास जी महाराज कहते हैं कि 
आधी जो रुखी भली, सारी सोग सन्ताप. जो चाहेगा चूपड़ी, तो बहुत करेगा पाप —
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— श्रम की महत्ता को संत कबीरदास जी महाराज  से अधिक कौन समझ सकता है? क्योंकि संत कबीर स्वंय एक श्रमिक है कामगार है, इससे ज्यादा वह होना भी नहीं चाहता.श्रम ही ते सब होत है, बिन श्रम मिले ना काही।
सीधी अंगुली घी जमों, कबहुं न निकसे नाहीं।।
संत कबीर इसलिए बार-बार भोगवाद पर रोक लगाने को कहते हैं —
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— रुखा सूखा खाय के,ठंडा पानी पीव.देख पराई चूपड़ी, मत ललचावै जीव।''
— जाति, धर्म और राजसत्ता मध्‍ययुगीन समाज में सबसे अधिक प्रभावी सामाजिक अभिकरण थे। ऐसे में सामाजिक दुर्दशा की जिम्‍मेदारी भी इन्‍हीं की थी — 
— संत कबीर ने इनकी अतार्किकता और शोषक-चरित्र के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया। स्व की सीमाओं से मुक्त कबीर का विद्रोही स्वर शोषकों का दुश्मन है और निर्बलों का हितैषी । वे निर्बलों को सताने वालों को आगाह करते हुए लिखते हैं —
“निर्बल को न सताइए जाकी मोटी हाय ।
बिना जीव के साँस से ज्यों लौह भस्म हुई जाय ॥”
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 — मगहर को 'अंतिम समय' के लिए चुना था सतगुरू कबीर जी महाराज ने —
— साथियों सोलहवीं सदी के महान सतगुरू संत कबीरदास महाराज वाराणसी में पैदा हुए और लगभग पूरा जीवन उन्होंने वाराणसी यानी काशी में ही बिताया लेकिन जीवन के आख़िरी समय वो मगहर चले आए और अब से लगभग पांच सौ साल पहले वर्ष 1518 में यहीं उनकी मृत्यु हुई —
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— संत कबीर जी महाराज स्वेच्छा से मगहर आए थे और इसी किंवदंती या अंधविश्वास को तोड़ना चाहते थे कि काशी में मोक्ष मिलता है और मगहर में नरक —
— मगहर में अब सतगुरू कबीर की समाधि भी है और उनकी मज़ार भी. जिस परिसर में ये दोनों इमारतें स्थित हैं उसके बाहर पूजा सामग्री की दुकान चलाने वाले राजेंद्र कुमार कहते हैं, "मगहर को चाहे जिस वजह से जाना जाता रहा हो लेकिन कबीर साहब ने उसे पवित्र बना दिया. आज दुनिया भर में इसे लोग जानते हैं और यहां आते हैं."
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— आइए हम सभी सतगुरू संत कबीरदास महाराज जी की विचारधारा तथा मिशन की किरणें जागृत करके मानवता को बचाने का प्रण करें —
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— सामाजिक क्रांति के अग्रदूत सतगुरू संत कबीरदास जी महाराज के चरणों में शत् -शत् नमन एंव विनम्र
 श्रद्धांजलि —
—  सामाजिक क्रांति के अग्रदूत सतगुरू श्री संत  कबीरदास जी महाराज के कार्यों ने उन्हें जाति-धर्म से ऊपर उठा दिया है.समाज के सामाजिक समता समानता के आजीवन संघर्ष इस लिए वह हमेशा याद रखे जायेंगे —
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 — सामाजिक क्रांति के अग्रदूत सतगुरू संत कबीरदास जी महाराज को कोटि-कोटि नमन करता हूं —
— साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनीति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,नेशनल जनमत,दलित दस्तक,विकिपीडिया —
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—— वो थे इसलिए आज हम है ——
—— यारों अगर भीम न होते तो बहुजन समाज और महिलाओं का मान सम्मान न होता अगर भीम न होते तो इस देश की मुखिया कोई महिला न होती,ये सूट बूट वाले साहब न होते शोषितों वंचित समाज में ये ऐसो आराम के समान न होते ये आलिशान महल न होते ——
   —— अगर इस भारत भूमि पर भीम न होते तो ये बड़ी बड़ी गाडियां, ये शोहरत ये इज्जत, ये अफसरशाही, सत्ता का स्वाद,न होता,ये उस सूर्य कोटि महापुरुष परमपूज्य 
बाबा साहेब की देन है जिन्होंने अपने समाज को गुलामी से आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर
 कर दिया ——
—— ऐसे महान शख्सियत के चरणों में शत शत नमन करता हूं, मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर वो बाबा थे जिन्होंने अपने समाज के बेटों को बचाने के लिए अपने बच्चों, पत्नी की कुर्बानी दे दी थी समाज के लिए ——
—— जरा हम लोग सोचे कि हमने क्या किया बाबा साहेब के लिए बाबा साहेब की पूजा तो हम बड़ी शिद्दत से करते हैं
ले उनकी बातों को नहीं मानते हैं ऐसे महान शख्सियत,आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक के चरणों में शत शत प्रणाम करता हूं ——
—  तो ऐसे थे हमारे आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर — 
—— साथियों आज वे हमारे बीच नही है, पर उनके द्वारा किये गए कार्यों,संघर्षों और उनके उपदेशों से हमेशा वे हमारे बीच जीवंत है। संविधान के रचयिता और ऐसे अद्वितीय समाज सुधारक को हमारा कोटि-कोटि नमन ——
 — आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे
 महानायक, लेकिन”भारतीय जातिवादी-मानसिकता ने सदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई |भारत में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा हो, जिसने देश के निर्माण,उत्थान और प्रगति के लिए थोड़े समय में इतना कुछ कार्य किया हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी ने किया है और शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो, जो निंदा, आलोचनाओं आदि का उतना शिकार हुआ हो,जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी हुए थे —
—— बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है। इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था ——
—— आवो जानें पे बैक टू सोसायटी क्या ——
—— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय,ज्ञान,बुद्धि, पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
—— तुम्हारें अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं दुबारा नहीं आऊंगा,ये क्रांति का रथ संघर्षो का कारवां ,जो मैं बड़े दुखों,कष्टों को सहकर यहाँ तक ले आया हूँ,अब आगे तुम्हे ही ले जाना है  ——
—— साथियों बाबा साहेब जी अपने अंतरिम दिनोँ में अकेले रोते हुऐ पाए गए। बाबा साहेब अम्बेडकर जी से जब काका कालेलकर कमीशन 1953 में मिलने के लिए गया ,तब कमीशन का सवाल था कि आपने पूरी जिन्दगी पिछड़े,शोषित,वंचित वर्ग समाज  के उत्थान के लिए लगा दी काका कालेकर कमीशन ने पूछा बाबा साहेब जी आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए बाबा साहेब ने जवाब दिया कि पिछड़े,शोषित,वंचित समाज का उत्थान करना है तो इनके अंदर बड़े लोग पैदा करने होंगें ——
—— काका कालेलकर कमीशन के सदस्यों को यह बात समझ नहीं आई  तो उन्होने फिर सवाल किया “बड़े लोग से आपका क्या तात्पर्य है ? " बाबा साहेब जी ने जवाब दिया कि अगर किसी समाज में 10 डॉक्टर , 20 वकील और 30 इन्जिनियर पैदा हो जाऐ तो उस समाज की तरफ कोई आंख ऊठाकर भी देख नहीं सकता !"
—— इस वाकये के ठीक 3 वर्ष बाद 18 मार्च 1956 में आगरा के रामलीला मैदान में बोलते हुऐ बाबा साहेब ने कहा "मुझे पढे लिखे लोगों ने धोखा दिया। मैं समझता था कि ये लोग पढ लिखकर अपने समाज का नेतृत्व करेगें , मगर मैं देख रहा हुँ कि  मेरे आस-पास बाबुओं की भीड़ खड़ी हो रही है जो अपना ही पेट पालने में लगी है !" 
—— साथियों बाबा साहेब अपने अन्तिम दिनो में अकेले रोते हुए पाए गए ! जब वे सोने की कोशिश करते थे तो उन्हें नींद नहीं आती थी,अत्यधिक परेशान रहने वाले थे बाबा साहेब के निजी सचिव  नानकचंद रत्तु ने बाबा साहेब जी से सवाल पुछा कि , आप इतना परेशान क्यों रहते है बाबा साहेब जी ? ऊनका जवाब था , " ——
—— नानकचंद , ये जो तुम दिल्ली देख रहो हो अकेली दिल्ली में 10,000 कर्मचारी ,अधिकारी यह केवल अनुसूचित जाति के है  ! जो कुछ साल पहले शून्य थे मैँने अपनी जिन्दगी का सब कुछ दांव पर लगा दिया,अपने लोगों में पढ़े लिखे लोग पैदा करने के लिए क्योंकि  मैं जानता था कि जब मैं अकेल पढ लिख कर इतना काम कर सकता हुँ  अगर हमारे हजारों लोग पढ लिख जायेगें तो बहुजन समाज में कितना बड़ा परिवर्तन आयेगा लेकिन नानकचंद,मैं जब पुरे देश की तरफ निगाह दौड़ाता हूँ हूँ तो मुझे कोई ऐसा  नौजवान नजर नहीं आता है,जो मेरे कारवाँ को आगे ले जा सकता है नानकचंद,मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा है ,जब मैं अपने मिशन के बारे में सोचता हुँ,तो मेरा सीना दर्द से फटने लगता है ——
—— जिस महापुरुष ने अपनी पुरी जिन्दगी,अपना परिवार ,बच्चे आन्दोलन की भेँट चढाए,जिसने पुरी जिन्दगी इस विश्वास में लगा दी  कि , पढा -लिखा वर्ग ही अपने शोषित वंचित भाइयों को आजाद करवा सकता हैं जिन्होंने अपने लोगों को आजाद कर पाने का मकसद अपना मकसद बनाया था,क्या उनका सपना पूरा हो गया ? आपके क्या फर्ज  बनते हैं समाज के लिए ?
—— सम्मानित साथियों जरा सोचो आज बाबा साहेब की वजह से हम ब्रांडेड कपड़े, ब्रांडेड जूते, ब्रांडेड मोबाइल, ब्रांडेड घड़ियां हर कुछ ब्रांडेड इस्तेमाल करने के लायक बन गए हैं बहुत सारे लोग बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब पर सैकड़ों रुपये बर्बाद करते हैं ! इस पर औसतन 500 रुपये खर्च आता है,चाउमीन, गोलगप्पे, सूप आदि पर हरोज 20 से 50 रुपये खर्च आता है। महिने में ओसतन 600 से 1500 रुपये तक खर्च हो सकते हैं ——
—— बाबा साहेब के अधिकारों,संघर्षो,प्रावधानों की वजह से जो लोग इस लायक हो गए हैं  हम लोगों पर बाबा साहेब ने विश्वास नहीं किया क्योंकि हमने बाबा साहेब के साथ विश्वासघात किया था ! उनके द्वारा दिखाए गए सपनों से हम दूर चले गए नौकरी आयी और आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी को भूल गए —— 
——"हमारे उपर बाबा साहेब का बहुत बड़ा कर्ज है, 
क्या आप उसे उतार सकते हैं,नहीं रत्तीभर भी नहीं हम जिस शख्स ने इस देश के शोषित,वंचित, पिछले, समाज,सर्वसमाज,महिलाओं भारतवर्ष के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी,अपने बच्चे,पत्नी अपने सुख चैन सब कुछ कुर्बान कर दिया जरा सोचो किसके लिए आप लोगों के लिए और हम लोग क्या कर रहें हैं टीवी,बीवी में मस्त है मिशन को भूल गये ——
—— लेकिन हमें फिर से पहले की तरह बाबा साहेब को धोखा नहीं देना चाहिए,पढ़े-लिखे लोगो अपने उपर से धोखेबाज का लेबल उतारो और बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाओ ——
——आपके बीड़ी, सिगरेट पर खर्च होने वाले 15 रुपये से न जाने कितने बच्चों को शिक्षा मिल सकती है,आपके फास्टफूड पर खर्च होने वाले 50 रुपये से न जाने कितने गरीब लोगों को दवाई मिल सकती है !आपके इन पैसों से न जाने कितने मिशनरी साथियों का खर्च चल रहा है जो पूरा जीवन समाज सेवा मे लगा रहे हैं ——
—— जरा अपने दिल पर हाथ रख कर कहो तुम क्या बाबा साहेब के पे बैक टू सोसाइटी सिद्धांत पर चल रहे हो ——
—— केवल भंडारे देना,चंदा देना,कार्यक्रम करना,ठंडे पानी की स्टाल लगाना पे बैक टू सोसाइटी नहीं है ——
——अपने जैसे सक्षम लोग पैदा करना पे बैक टू सोसाइटी है गरीब बच्चों को शिक्षित करना पे बैक टू सोसाइटी है,शिक्षित लोगों को नौकरियां दिलाना डाक्टर है ——
——बहुजनों को वैज्ञानिक,इंजिनियर,वकील,शिक्षक,डाक्टर इत्यादि बनाना पे बैक टू सोसाइटी है.बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए लगे हुए मिशनरियों को मदद देना असली पे बैक टू सोसाइटी है ——
—— आप जो पोजिशन पर है आपका फर्ज बनता है कि मेरे समाज का हर बच्चा उस पोजिशन पर पहुंचे यह पे बैक टू सोसाइटी है,अतः हम पढे-लिखे, नौकरीपेशा समाज से अपील करते हैं कि आप अपने उपर लगे धोखेबाज के लेबल को उतारने की कोशिश करें आपने ग़ैर-भाई बहनों के पास जाओ,उनकी ऊपर उठने में मदद करें,अपने उद्योग धंधे, व्यापार आदि शुरू करें, अपने आप को बेरोजगार बहुजनों के लिए रोजगार की व्यवस्था करें,अपना व्यवसाय शुरू करें, अपने समाज का पैसा अपने समाज में रोकें ——
 —— प्रयत्न करें,जब तक बाबा साहेब का पे बैक टू सोसाइटी  का सिद्धांत लागू नहीं होगा तब तक देश से गरीबी नहीं मिटेगी ——
——  साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट {संदर्भ- सलेक्टेड ऑफ डाँ अम्बेडकर – लेखक डी.सी. अहीर पृष्ठ क्रमांक 110 से 112 तक के भाषण का हिन्दी अनुवाद), श्री गुरु रविदास जन-जागृति एवं शिक्षा समिति,(राजी),दलित दस्तक ,समय बुद्धा,,पुस्तक-'डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर के महत्वपूर्ण संदेश एवं विद्वत्तापूर्ण कथन' के थर्ड कवर पृष्ठ से,लेखक-नानकचंद रत्तू-अनुवादक-गौरव कुमार रजक, अंकित कुमार गौतम,संपादन-अमोल वज्जी,प्रकाशक-डी के खापर्डे मेमोरियल ट्रस्ट (पब्लिकेशन डिवीजन)527ए, नेहरू कुटिया, निकट अंबेडकर पार्क, कबीर बस्ती, मलका गंज, नई दिल्ली -07, विकिपीडिया} ——
 ——"सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,मानवता की प्रचारक महामानव बाबा साहेब अम्बेडकर जी के  चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं ——
— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —  
— साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं 
      — जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान —
  — सच  अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
     ―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के  बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया ——
   ―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
   —— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
      —―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है ——
      —– साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था ——
       ―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
      ―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"
       ―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
        ―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
             ―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर  जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
        ― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !
           ―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
     ―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद   रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय ज्योतिबा फुले 
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर 
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !    
              अमित गौतम
             युवा सामाजिक
                कार्यकर्ता         
              बहुजन समाज
  जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर
           सम्पर्क सूत्र-9452963593

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