— सभी देशवासियों को भारतीय संविधान दिवस की हार्दिक शुभेच्छा एंव मंगलकामनाएं –सत्यमेव जयते—सामाजिक क्रान्ति का दस्तावेज है भारतीय संविधान— जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आपका संविधान साथियों —

             
26,नवंबर,1949
    — सभी देशवासियों को भारतीय संविधान दिवस की हार्दिक शुभेच्छा एंव मंगलकामनाएं –
              — सत्यमेव जयते —
  —सामाजिक क्रान्ति का दस्तावेज है भारतीय संविधान—
    — जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आपका संविधान साथियों —
               || भवतु सब्बमंगलं ||
"भारतवर्ष को समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व के एक सूत्र में बांधने वाला सामाजिक क्रान्ति का दस्तावेज है भारतीय संविधान"
     — सम्मानित साथियों हम सब के लिए अत्यंत हर्ष एवं गौरव की बात है कि 26 नवम्बर को पिछले वर्षो से संविधान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा की शुरूआत केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा की गयी है —
— भारतीय संविधान के निर्माता, जिन्होंने भारत को समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व के एक सूत्र में बांधने वाला सामाजिक क्रान्ति का दस्तावेज है भारतीय संविधान" दिया उन्हे सिर्फ शोषित, वंचित, पिछड़ो के नेता तक ही सीमित करना जातिगत मानसिकता का परिचायक है —
— जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं —
— साथियों हमारा राष्ट्र भारतवर्ष एक गणतंत्र राष्ट्र बना जिनके संघर्षो, त्याग, समर्पण की वजह से ये सम्भव हो पाया वो है — आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक, परमपूज्य,बोधिसत्व,भारत रत्न,महामानव,बाबा साहेब डा अम्बेडकर जी के बदौलत —
— साथियों शायद आप इस सत्य से अंन्जान है या जानना नहीं चाहते पढ़िए ध्यान से संविधान ने आपके जीवन में किस तरह से क्रांति ला दी —
— साथियों जिस सामाजिक क्रांति की बदौलत भारत के संविधान का निर्माण हुआ, उसमे छत्रपति साहूजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले जीे,नारायण गुरु जी और परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न महानायक बाबा साहेब डा. भीमराव आम्बेडकर जी का बहुत बड़ा योगदान था । इन तमाम महापुरुषों के संघर्षो के बाद परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी के संघर्षो के बदौलत भारत वर्ष  में जो सामाजिक क्रांति आई वह एकमात्र कारण है जिससे भारत के संविधान का निर्माण हुआ। यह नहीं होता और भारतीय संविधान नहीं होता तो लोगो के मूलभूत अधिकारों की गारंटी भी न होती। यानी बोलने की, लिखने की, अपनी मर्ज़ी से पेश चुनने की ,संगठन खड़ा करने की,अच्छे कपड़े पहनने, मीडिया चलाने की आज़ादी नहीं होती। जातिगत भेदभाव को गलत नहीं माना जाता , छुआछूत को कानून में अपराध घोषित नहीं किया जाता, स्त्री स्वतंत्रता की बात कौन करता —
— हम लोग गणतंत्र के महानायक परमपूज्य बाबा साहेब डा. बी.आर. अम्बेडकर जी का हमेशा ऋणी रहेगा जिन्होंने समता समानता पर आधारित दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान दिया —
   — परमपूज्य बाबा साहेब आंबेडकर जी ने आजाद भारत में सभी वर्गो की भागीदारी सुनिश्चित  की —
        — भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ भारत के संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में लिखी गई है —
      — भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कॉलीग्राफ्ड थी। इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षप किए  दो दिन बाद इसे लागू किया गया था
 — साथियों हीलियम से भरे गैस में रखी गई है मूल प्रति"
— आज देश को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में विश्व में सम्मान की निगाह से देखा जाता है —
  — गणतन्त्र के महानायक बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर —              
— भारत के संविधान को सलाम देश के प्रति लड़ने वाले शहीदों को सलाम देश पर अपनी जान निछावर करने वाले गुमनाम शहीदों को सलाम —
— साथियों संविधान चाहे किसी भी देश का हो,उसे उस देश की भूमि का प्रधान कानून माना जाता है —
— अन्य जितने भी अथवा प्रकार के कानून चाहे,सिविल हो, क्रिमनल हो,उनका प्रावधान संविधान के साथ सुसंगत होना आवश्यक होता है —
   — आवो जाने संविधान दिवस क्या है और क्यूँ मनाया जाता है —
— साथियों भारतीय संविधान दिवस की शुरूआत 2015 से हुई क्योंकि 2015 में भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बोधिसत्व,भारत रत्न बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर जी के जंन्म के 125 वें साल के रूप में मनाया गया था! तब से आज तक नियमित मनाया जा रहा है! आज संविधान को लागू हुए देश को 69 वर्ष का समय हो गया है —
— आपको बता दें कि भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा  संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था सबसे खास बात यह है कि विश्व में भारत वर्ष का संविधान सबसे बड़ा है, इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाऔर 94 संसोधन शामिल हैं।  29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली प्रारूप समिति की स्थापना हुई जिसमें अध्यक्ष के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर की नियुक्ति हुई —
— सबसे खास बात यह है कि जिस दिन संविधान तैयार किया जा रहा था, उस दिन बारिश हो रही थी —
— 25Nov 1949 को बाबा साहेब जी ने संविधान सभा में भाषण देते हुए कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो वह अपने आप लागू नहीं होता है, उसे लागू करना पडता है। ऐसे में जिन लोगो के ऊपर संविधान लागो करने की जिम्मेदारी होती है, यह उन पर निर्भर करता है कि वो संविधान को कितनी इमानदारी और प्रभावी ढंग से लागू करते है —
— भारतीय संविधान को अपनाने से ठीक एक दिन पहले यानि 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा को सम्बोधित करते हुए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने लोकतंत्र के पक्ष में अपना यादगार भाषण दिया था। वो संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। उनका यह भाषण आज 69 वर्षों बाद भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना तब था —
— संविधान सभा में बाबा साहेब के ऐतिहासिक वक्तव्य 
(25 नवंबर 1949) का एक अंश —
— हमें सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र भी बनाना चाहिए। राजनीतिक लोकतंत्र तब तक स्थायी नहीं हो सकता, जब तक इसकी बुनियाद में सामाजिक लोकतंत्र न हो। सामाजिक लोकतंत्र का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है एक ऐसी जीवन शैली, जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को जीवन का मूल सिद्धांत मानती हो। इसकी शुरुआत इस तथ्य को मान्यता देकर ही की जा सकती है कि भारतीय समाज में दो चीजें सिरे से अनुपस्थित हैं। इनमें एक है समानता। सामाजिक धरातल पर,भारत में एक ऐसा समाज है जो श्रेणीबद्ध असमानता पर आधारित है। और आर्थिक धरातल पर हमारे समाज की हकीकत यह है कि इसमें एक तरफ कुछ लोगों के पास अकूत संपदा है, दूसरी तरफ बहुतेरे लोग निपट भुखमरी में जी रहे हैं —
   — भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं —
— यह लिखित और विस्तृत है। यह लोकतांत्रिक सरकार है - निर्वाचित सदस्य। मौलिक अधिकार,न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,एकल राष्ट्रीयता,भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है। राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं, केंद्र एक बौद्ध 'Ganrajya' के समान है,बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव,भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है —
— साथियों दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है। पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है —
— भारत,संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुतासंपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य है. यह गणराज्य भारतीय संविधान द्वारा शासित है. भारतीय संविधान संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ —
        — आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक,महानायक,
बाबासाहेब डॉ भीम राव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है. वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने में 2,वर्ष,11,माह और 18 दिन लगे —
— पूरे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. जानें आखिर किन वजहों से भारतीय संविधान है खास और एक आम इंसान इसे किस तरह जाने 
1. संविधान में प्रशासन या सरकार के अधिकार, उसके कर्तव्य और नागरिकों के अधिकार को विस्तार से बताया गया है.
2. मसौदा तैयार करने वाली समिति ने संविधान हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी.
3. 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 5 परिशिष्ट और 100 संसोधनों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा संविधान हैं.
4. संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्‍मक विशिष्‍टताओं सहित संघीय हो. केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है.
— संविधान में संशोधन —

— संशोधन के प्रस्ताव की शुरुआत संसद में होती है जहां इसे एक बिल के रूप में पेश किया जाता है. इसके बाद इसे संसद के प्रत्येक सदन के द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए. प्रत्येक सदन में (1) इसे उपस्थित सांसदों का दो तिहाई बहुमत और मतदान प्राप्त होना चाहिए और (2) सभी सदस्यों (उपस्थित या अनुपस्थित) का साधारण बहुमत प्राप्त होना चाहिए. इसके बाद विशिष्ट संशोधनों को कम से कम आधे राज्यों की विधायिकाओं के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए. एक बार जब सभी अन्य अवस्थाएं पूरी कर ली जाती हैं, संशोधन के लिए भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जाती है, परन्तु यह अंतिम प्रावस्था केवल एक औपचारिकता ही है —
 — समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया —
 — साथियों आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक, महानायक डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी को आज भारत ही नहीं पूरा विश्व भी एक आइडियल व्यक्ति मानता है और उनका गुणगान भी करता है किंतु कुछ जातिगत मानसिकता से ग्रस्त लोग डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी से नफरत करते हैं, और उनके वर्ग विशेष से जोड़ने की कोशिश करतें ह, लेकिन बाबासाहेब आंबेडकर जी को पढ़ने के बाद ये पता चलता है कि बाबा साहेब आंबेडकर जी ने अंखड भारत के लिए जो किया है शायद वो कोई कर पाए —
 — तो ऐसे थे हमारे डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर।
आज वे हमारे बीच नही है, पर उनके द्वारा किये गए कार्यों, संघर्षों और उनके उपदेशों से हमेशा वे हमारे बीच जीवंत है। संविधान के रचयिता और ऐसे अद्वितीय समाज सुधारक को हमारा कोटि-कोटि नमन —
 — आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे
 महानायक, लेकिन”भारतीय जातिवादी-मानसिकता ने सदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई |भारत में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा हो, जिसने देश के निर्माण,उत्थान और प्रगति के लिए थोड़े समय में इतना कुछ कार्य किया हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी ने किया है और शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो, जो निंदा, आलोचनाओं आदि का उतना शिकार हुआ हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी हुए थे,बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है। इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था —
— आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है —
समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है. 
भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा —
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं —
— बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है। इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था —
      — साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —        — जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान —
  — सच  अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
     — साभार-बहुजन समाज और उसकी राजनीति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,विकिपीडिया—
―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के  बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया !
   ―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
          ―ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो !
      ―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है !
       ―साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था !
       ―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
      ―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"
       ―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
        ―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
             ―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर  जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
        ― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !
           ―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
     ―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद   रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर 
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !    
              अमित गौतम
             युवा सामाजिक
                कार्यकर्ता         
              बहुजन समाज
  जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर
           सम्पर्क सूत्र-9452963593


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