देश में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका द आयरनलेडी बहन जी के जंन्मदिवस की हार्दिक बधाईयां एवं मंगलकामनाएं

15,जनवरी,1956   
    वो थे इसलिए आज हम है 
          इतिहास के पन्नों से 
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          — जन-कल्याणकारी दिवस — 
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— भारत की सबसे कम उम्र की महिला मुख्यमंत्री बहुजन समाज की आन बान शान बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा, भारत के सबसे बड़े सूबे की चार-चार बार मुख्यमंत्री रहीं,भारत की प्रथम बहुजन मुख्यमंत्री,बहुजन समाज और उसकी राजनीति की धुरी,पूर्व लोकसभा सदस्य,पूर्व राज्यसभा सदस्य ,बहुजन महानायिका,द आयरन लेडी,बाबासाहेब अम्बेडकर जी और मान्यवर कांशीराम साहब के पद चिन्हों पर चलने वाली,सामाजिक क्रांति की अग्रदूत, बहुजन समाज के स्वाभिमान की प्रतीक बहन मायावती जी के जंन्मदिवस(जन-कल्याणकारी दिवस) की हार्दिक बधाईयाँ एंव मंगलकामनाएँ,शत्-शत् नमन —
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   — आप जिये हजारों साल
        साल के दिन हो
                पचास हजार —
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— द आयरनलेडी आदरणीया_सुश्री बहन कु. मायावती_जी
सैल्यूट है आपको  —
— साथियों बहन मायावती जी होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है —
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— सम्मानित साथियों हमारा वोट ही,हमारी ताकत है यह लोकतन्त्र में सबसे बड़ी ताकत वाला हथियार है —
🔹यदि हमने इसे सही तरीके से उपयोग नही किया तो यह हथियार, हमारे खिलाफ भी उतनी ही ताकत से काम करेगा जैसा की हम उसे उपयोग कर सकते है —
     🔹वोट की ताकत से ही हमारा वजुद है —
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—इतिहास में सन् 2008 के आठवें महीने का 28 वां दिन उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री द आयरन लेडी बहन जी मायावती को हमेशा याद रहने वाला है क्योंकि यही वह दिन है जब दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शुमार ‘फोर्ब्स’ ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था —
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— बहन मायावती के शासन में करीब 23 लाख 10 हजार स्थाई रोजगार दिया गया था जिसमे बहुजन समाज को 60 %अधिक भागीदारी मिली जो भारत के इतिहास में रिकॉर्ड है ।इस रिकॉर्ड को बहन जी ही तोड़ सकती हैं।नौकरी देना बड़ी बात नहीं है बड़ी बात ये है कि हजारों साल से बंचित समाज (एससी,एसटी, ओबीसी)को बिना जातिगत भेदभाव के भागीदारी देना,ऐसा केवल बसपा शासन में हुआ है —
               — नीली क्रांति —
— न्याय,सम्मान,स्वाभिमान,समता एंव स्वतंत्रता —
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— अगर केवल मूर्ति बनाने को ही #आर्थिक और #सामाजिक पहलुओं की तुलना कर ली जाये तो समझ जायेंगे कि मायावती होना मुश्किल है लखनऊ पार्क की लगत 100 करोड़ (आधिकारिक) और एक नया पैसा विदेश नहीं गया देश के संसाधनों से देश की प्रतिभाओं ने अद्वितीय कारनामा कर दिखाया 2007 में जब द आयरनलेडी मायावती ने यूपी की सत्ता संभाली तो पिछला बजट था 80 हजार करोड़ का —
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— और जब 2012 में मायावती जी ने सत्ता छोड़ी तो बजट 2 लाख करोड़ से ऊपर था मायावतीजी द्वारा पेश आखिरी बजट में राजकोषीय घाटा 2.8% था और उसी वर्ष भारत सरकार का राजकोषीय घाटा 5.2% था इसलिए आर्थिक नीतियों के मामले में भी मायावती होना मुश्किल है —
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— लखनऊ चमकाया,नोएडा,चमकाया,एक्सप्रेसवे दिया, फार्मूला वन ट्रैक दिया,किसानों को उनकी मर्जी का मुआवजा दिया बिजली उत्पादन 5 साल में  3500 MW से #8000MV पहुँचा दिया इसलिए मायावती बनना मुश्किल है.
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— द आयरनलेडी बहन मायावतीजी ने अपने शासन काल में 7 मेडिकल कालेज, 5 इंजीनियरिंग कालेज,
2 होम्योपैथिक कालेज,2 पैरा-मेडिकल कालेज, 
6 विश्वस्तरीय_विश्वविद्यालय,100से_अधिक_डिग्री कालेज, 572_हाईस्कूल,100_सेअधिक_ITI खोले कभी गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा जा कर देखिये इसलिए मायावती बनना मुश्किल है —
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— बहन मायावती जी का शासन #कानून_का_शासन होता है मायावती जी को शासन चलाने के लिए किसी विशेष-सख्त कानून की जरुरत नहीं होती इसी लिए मायावती ने अपने शासन में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कानून से तुरंत गिरफ़्तारी का प्रावधान हटवा दिया था इसलिए मायावती होना मुश्किल है —
— जनता की सुविधा के लिए 27 ने जिलों का गठन किया तो  27_नए जिला अस्पताल —
— 27 ने जिला एवं सत्र न्यायालय —   
— 27 ने जिलाधिकारी कार्यालय,27 ने विकासभवन भी बनाये गए.45 नई तहसील और 40 विकास खंड बने जिसमें लाखो लोगों को रोजगार मिला इसलिए मायावती होना मुश्किल है —
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— बहन मायावती जी के समय में —
— ठेकों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए ई टेंडरिंग शुरू की गई मायावती के शासन में हुई —
— किसी भर्ती में पक्षपात या भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा और न ही कोई भर्ती कोर्ट में चेलेंज की गई इसलिए मायावती होना मुश्किल है —
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— द आयरनलेडी बहन मायावती जी ने —
— अपने 1995 की सरकार में अपने मात्र 4 महीने के शासन काल में 7 लाख एकड़ खेती की जमीनों के पट्टे भूमिहीनो को दिए उसके बाद के हर शासन में ये आंकड़ा और बढ़ा इसलिए आयरन लेडी मायावती जी होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है — 
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— बहन मायावती जी भारत में सबसे कम उम्र की महिला मुख्यमंत्री हैं और भारत की इकलौती  बहुजन मुख्यमंत्री भी बहुत ही कम लोग जानते है की इतनी कम उम्र में ही उन्होंने उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री पद का चुनाव जीता है और चार बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया है  —
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— साथियों जब कभी भी भारतवर्ष के बहुजनों की महिलाओं के सशक्तिकरण का इतिहास लिखा जाएगा तो इसकी शुरुआत बाबा साहेब अम्बेडकर जी से शुरू होगी और मां कांशीराम जी से गुजरती हुई ही आगे जाएगी !  साधारण परिवार की एक बहुजन महिला को देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का मान्यवर कांशीराम जी द्वारा किया गया महान ऐतिहासिक कार्य क्या वास्तव में ही महिला सशक्तिकरण का महान कार्य  है —
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— द आयरनलेडी बहन मायावती जी एकलौती ऐसी महिला शख्सियत हैं जिनके पास इतनी शक्ति है और उत्तर प्रदेश और पूरे राष्ट्र को संभाल सकने में सक्षम है —
— बहन मायावती जी के प्रशंसक और उनके चाहने वाले उनको प्यार से बहन जी के नाम से बुलाते हैं —
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— यूपी विधानसभा के इतिहास में सबसे ज्यादा चार बार मुख्यमंत्री और बहन जी के नाम से लोकप्रिय बीएसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन मायावती जी एक सख्त शासक और आयरन लेडी के तौर पर जानी जाती हैं —
— इसी सख्ती की वजह से कानून का राज स्थापित करने के लिए उनकी तारीफ होती है.एक महिला का राजनीति में आना,संघर्ष करना और चुनाव भी जीतना बहुत मायने रखता है और एक बहुजन समाज की महिला का शक्ति में आना किसी को एक नहीं भाता लेकिन बहन मायावती जी ने इन सब बातों पर ध्यान ना देते हुए अपने राजनीतिक करियर को चमकाया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चार बार शासन किया.पूरे बहुजन समाज को गर्व है बहन जी —
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— बहन कुमारी मायावती जी का जीवन परिचय, एंव बहन जी बनने तक का सफर :-बहन जी का जंन्म 15,जनवरी, 1956 को अनुसूचित जाति की उपजाति चमार जाति से सम्बन्धित एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है —
— आपके पिता श्री प्रभुदास जी,मूलरूप से जिला गौतमबुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) में ग्राम बादलपुर के रहन वालेे ह है ! बहन जी के पिता जी दिल्ली में क्लर्क पद पर दूरसंचार विभाग में कार्यरत रहे हैं.बहन जी का जंन्म श्रीमती सुचेता कृपलानी में हुआ बहन मायावती जी की माता जी का श्रीमती रामरती जी हैं ! बहन जी के छः भाई और दो बहनें हैं ! बहन जी ने कालिंदी कॉलेज, दिल्ली, से कला में स्नातक की उपाधि ली और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी और बी. एड भी किया। उनके पिता उन्हें कलेक्टर बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपना बहुत सारा वक़्त भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैय्यारी में लगा दिया —
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 — इसी दौरान उन्होंने शिक्षिका के रूप में कार्य करना शुरु किया ! मां कांशीराम साहब जब पहली बार द आयरन लेडी बहन मायावती जी से —
— बहन मायावती इतनी सख्त क्यों हैं? इस बारे में उन्हें नेता बनाने वाले कांशीराम ने लिखा है —
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— बहन मायावती जी अगर आज सख्त मिजाज दिखती हैं तो शायद इसकी वजह शुरुआती दिनों में हुआ उनका चौतरफा विरोध है ! हर आदमी उनके खिलाफ था। पार्टी के कुछ पुराने नेताओं ने भी मायावती का विरोध किया। इन नेताओं ने मेरे ऊपर भी दबाव बनाया। सब चाहते थे कि मैं मायावती को आगे न बढ़ने दूं। मैंने इनकार किया तो कई लोगों ने पार्टी छोड़ दी आज वही दिग्गज मायावती का लोहा मानते हैं —
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— घर से करना पड़ा विरोध का सामना दरअसल,मायावती को राजनीति में आने से पहले अपने घर से भी विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनके पिता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी थे, लेकिन जब 1984 में बीएसपी बनने पर मायावती सक्रिय राजनीति में उतरीं तो पिता ने कहा कि अगर तुमने कांशीराम का साथ नहीं छोड़ा तो परिवार से अलग कर दिया जाएगा। इस बारे में मायावती लिखती हैं,-'पिता जानते थे कि लड़की घर छोड़कर नहीं जा सकती। उन्होंने मुझ पर दबाव बनाया, लेकिन मैंने उनकी एक नहीं सुनी।' इसके बाद मायावती ने अपना घर छोड़ दिया। हालांकि, मायावती इससे पहले ही 1978 में बने 'बामसेफ' और 'डीएस 4' में कांशीराम के साथ राजनीति में सक्रिय हो चुकी थीं। इन दोनों संगठनों की स्थापना 1978 और 1981 में ही हो चुकी थी —
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— महिला सशक्तिकरण के इन दोनों ऐतिहासिक उदाहरणों के अतिरिक्त एक और उदाहरण भी मिलता है. वह है 3 जून 1995 को देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में मायावती का मुख्यमंत्री बनना.यही वह वास्तविक उदाहरण है जिसे ‘महिला सशक्तिकरण’ के लिए दिया जा सकता है. अन्य महिलाएं भी इससे प्रेरणा ले सकती हैं —
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— क्योंकि कुमारी मायावती अन्य महिलाओं की तरह संपन्न वर्ग से नहीं थी और ना ही किसी सुल्तान या प्रधानमंत्री की औलाद हैं. दूसरा सबसे बड़ा कारण वो दोनों उदाहरण तो केवल इतिहास भर है जबकि द आयरलेडी बहन मायावती जी का उदाहरण इतिहास और वर्तमान दोनों है —
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 — जिस शोषित समाज से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का सम्बन्ध है,उस समुदाय से उठकर एक महिला को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने वाले महान योद्धा ‘बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम जी’ थे. अगर सही मायनों में देखा जाए तो मान्यवर कांशीराम जी महिला सशक्तिकरण के वास्तविक नायक नजर आते हैं इस महिला उत्थान से सम्बन्धित इतने मजबूत उदहारण को जातिवादी मीडिया और सब लोग बायकाट करते है; और साथ में दलित/बहुजन चिन्तक भी —
—  इस संदर्भ में एक तथ्य यह भी है कि एक महिला द आयरलेडी बहन जी को उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े सूबे  के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठाना कांशीराम जी की मजबूरी नहीं थी और ना ही उन पर किसी प्रकार का दबाव था ! उनके पास पुरुष नेताओं की भी बड़ी संख्या थी जो मायावती से भी वरिष्ठ थे ! लेकिन मान्यवर कांशीराम ने उन सब नेताओं में एक महिला नेता को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया —
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—  हालांकि भारतीय इतिहास इस प्रकार के अद्भुत उदाहरणों से सुना पडा है; लेकिन फिर भी इस उदाहरण को मुख्यधारा के विद्वान, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, महिलाओं के संगठन तथा बहुजन समाज के बुद्धिजीवी चिंतक व कुछ कार्यकर्ता भी नहीं देख रहे हैं ! इस महिला सशक्तिकरण के सबसे बड़े ऐतिहासिक उदाहरण को कोई नहीं बताता है —
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—  पायोनियर’ अंग्रेजी अखबार के सम्पादक ‘अजय बोस’ जी ने मायावती जी की जीवनी लिखी है जो वाणी प्रकाशन से प्रकाशित की गई, मेरा उन सभी लोगों से, महिलाओं से आग्रह है जो ‘महिला सशक्तिकरण’ जैसी किसी चीज के बारे में सोचते हैं, उनको यह जीवनी जरुर पढ़नी चाहिए —
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— उसमें मायावती जी के बचपन के कुछ जानकारियाँ दी गई है. जब मायावती जी 9-10 साल की थी और सम्भवतः पाचवीं कक्षा में पढ़ती थी तो उसके चौथे नम्बर के छोटे भाई सुभाष कुमार का जन्म हुआ था और जब वह मात्र दो ही दिन का था तो उसे सख्त निमोनिया हो गया था. पिता जी भी ड्यूटी करने के लिये दूर गए हुए थे और माँ इस हालत में नहीं थी कि उठ सके —
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— भाई बीमारी से तड़प रहा था और डिस्पेंसरी लगभग 7 किलोमीटर दूर थी. मासूम बच्ची बहन मायावती जी  ने अपने दो दिन के भाई को गोद में उठाया, डिस्पेंसरी का कार्ड लिया, साथ में पानी की बोतल ली और पैदल ही निकल पड़ी. जब भाई रोता-चिल्लाता तो चलते-चलते ही उसे बोतल से पानी पिला देती. उम्र कम होने के कारण बहुत थक जाती तो भाई को कभी बाई तरफ कंधे से लगाती तो कभी दायीं तरफ —
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— दो घंटे पैदल चलकर डिस्पेंसरी पहुंच गई और कार्ड दिखाकर भाई को इंजेक्शन और दवाई दिलवाई जिससे उसकी हालत में सुधार आया —
—  फिर वापिस पैदल चलकर उसी तरह भाई को गोद में उठाकर रात के लगभग साढ़े नौ बजे अकेली घर पहुंची. जब माताजी ने मुझे और भाई को देखा तो उसकी जान में जान आयी —
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— एक अन्य उदाहरण भी दिल्ली का है —
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—  दिल्ली की इंद्रपुरी इलाके में हमारे पड़ोस में घनश्याम सिंह बिरला नामक व्यक्ति की पत्नी को शादी के कई वर्षों बाद भी संतान नहीं हुई थी, लेकिन बाद में उनकी पत्नी गर्भवती हुई तो जिस दिन बच्चा पैदा होने वाला था तो इत्तेफाक से उस दिन उनके घर पर कोई नहीं था. और आस- पड़ोस की महिलाएं उनकी सहायता करना तो दूर उनके पास जाने से भी कतरा रही थी. यह सब सुनकर जब मैं उनकी सहायता करने के लिए जाने लगी तो मेरी माँ ने मुझे कहा की ‘तुम्हारी तो अभी शादी भी नहीं हुई है और उस औरत की बीमारी तुझे लग जाएगी और अन्य महिलाओं ने भी मुझे रोका — 
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— लेकिन जब मैं अपनी माँ व अन्य पड़ोसियों की परवाह ना करते हुए और उस औरत को ऑटो में बिठाकर करोलबाग दिल्ली में स्थापित कपूर हॉस्पिटल ले गई, जहां उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया उसके बाद घनश्याम सिंह बिरला जी भी आए तो नर्स जब बच्चे को बिरला जी की गोद में देने लगी तो उन्होंने कहा की “मुझसे पहले इस बच्चे को ‘मायावती’ की गोद में दे दो क्योंकि अगर ये ना होती तो आज ना तो मेरी पत्नी होती और ना ही मेरा बच्चा जिन्दा होता.”
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— उपरोक्त दो उदाहरण तो मजह एक झलक हैं. उनकी पुरे जीवन की एक-एक घटना का वर्णन बहुत ही हैरानी भरा है. 
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— आज शिखर पर पहुंची हुई तमाम महिलाओं के जीवन को देखने से मालूम पड़ता है कि वे सब बहन मायावती जी के संघर्ष के सामने बहुत बौनी हैं.उन्हें तो उनकी धन-दौलत व जातिवादी समाज व्यवस्था तथा उनकी सांस्कृतिक पूंजी के लाभ मिले हैं —
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 — तो ही वो आगे बढ़ी हैं, जबकि मायावती जी तो मनुवादी समाज व्यवस्था में बिना धन-दौलत और बिना सांस्कृतिक पूंजी के ही इन मुख्यधारा की सभी महिलाओं और पुरुषों का अकेले ही सामना कर रही हैं. इसमें हैरत नहीं कि सुश्री मायवती को दुखों और संघर्ष ने पत्थर-समान मजबूत बना दिया है और इसे मजबूती देने वाले महान योद्धा मान्यवर कांशीराम जी थे —
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— उन्होंने बहन मायावती जी की क्षमता को सही रूप से पहचाना और उन्हें अवसर दिया अवसर मिलने पर मायावती जी ने भी अपने गुरु को दिखा दिया कि अगर हमारी महिलाओं को सही अवसर दिया जाए तो वो भी अपना दम-खम हर क्षेत्र में दिखा सकती हैं —
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—  ऐसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर —
—  मायावती की कांशीराम से मुलाकात और उनके राजनीति में आने की भी रोचक कहानी है। बात सितंबर 1977 की है जब जनता पार्टी ने दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में 'जाति तोड़ो' नाम से एक तीन दिवसीय सम्मलेन आयोजित किया। इसमें मायावती भी शामिल हईं। सम्मलेन का संचालन केंद्रीय मंत्री राजनारायण खुद कर रहे थे —
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—  वह कार्यक्रम में बार-बार हरिजन शब्द का प्रयोग कर रहे थे। मायावती मंच पर आईं तो सबसे पहले उन्होंने हरिजन शब्द पर आपत्ति जताई और कहा की एक तरफ तो आप जाति तोड़ने की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ आप इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। यह शब्द ही शोषितों में हीनता का भाव पैदा करता है। उनके भाषण को सुन सबने उनकी प्रशंसा की। सम्मेलन में मौजूद बामसेफ के कुछ नेताओं ने प्रभावित होकर यह बात कांशीराम को बताई। इसके बाद कई कार्यक्रमों में कांशीराम ने खुद मायावती के विचार सुने और एक दिन वह खुद मायावती के घर पहुंच गए। मायावती उस समय टीचर की नौकरी के साथ एलएलबी भी कर रही थीं —
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— सन 1977 की एक सर्द रात ग्यारह बजे जैसे ही मायावती ने खाना खाने के बाद पढ़ना शुरू किया, उनके दरवाज़े की घंटी बजी —
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— तब मायावती के पिता प्रभुदयाल दरवाज़ा खोलने आए तो उन्होंने देखा कि बाहर मुड़े-तुड़े कपड़ों में, गले में मफ़लर डाले, लगभग गंजा हो चला एक अधेड़ शख़्स खड़ा था उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि वो कांशीराम हैं और बामसेफ़ के अध्यक्ष हैं. वो मायावती को एक भाषण देने के लिए आमंत्रित करने आए हैं —
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— उस समय मायावती दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके में रहा करती थीं. उनके घर में बिजली नहीं होती थी. वो लालटेन की रोशनी में पढ़ रही थीं. कांशीराम की जीवनी मां कांशीराम 'द लीडर ऑफ़ दलित्स' लिखने वाले बद्री नारायण बताते हैं, —
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 "मां कांशीराम ने बहन मायावती से पहला सवाल पूछा कि वो क्या करना चाहती हैं. मायावती ने कहा कि वो आईएएस बनना चाहती हैं ताकि अपने समुदाय के लोगों की सेवा कर सकें."
"मां कांशीराम साहब जी ने कहा तुम आईएएस बन कर क्या करोगी? 
मैं तुम्हें एक ऐसा नेता बना सकता हूँ जिसके पीछे एक नहीं, बीसों कलेक्टरों की लाइन लगी रहेगी. तुम सही मायने में तब अपने लोगों के ज़्यादा काम आ सकती हो ! उन्होंने मायावती के पिता से कहा कि वो अपनी बेटी को संगठन में काम करने के लिए उन्हें दे दें —
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— प्रभुदयाल जी ने बात को टालने की कोशिश की. लेकिन बहन मायावती की समझ में आ गया कि उनका आगे का भविष्य कहां है, हालांकि उनके पिता इसके सख़्त ख़िलाफ़ थे. बहन मायावती जी ने अपने पिता की बात नहीं मानी. यहां तक कि उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और पार्टी आफ़िस में आ कर रहने लगीं  —
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— बहन मायावती की जीवनी लिखने वाले अजय बोस अपनी किताब 'बहनजी' में लिखते हैं, "मायावती ने स्कूल अध्यापिका के तौर पर मिलने वाले वेतन के पैसों को उठाया जिन्हें उन्होंने जोड़ रखा था, एक सूटकेस में कुछ कपड़े भरे और उस घर से बाहर आ गईं जहां वो बड़ी हुई थीं."  मायावती ने वर्णन किया है कि उस समय उनके क्या संघर्ष थे ! लोग उनके बारे में क्या सोचते थे. एक लड़की का घर छोड़ कर अकेले रहना उस समय बहुत बड़ी बात होती थी. वो असल में किराए का एक कमरा लेकर रहना चाहती थीं. लेकिन इसके लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे. इसलिए पार्टी आफ़िस में रहना उनकी मजबूरी थी. बहुत ही अच्छी केमिस्ट्री थी दोनों के बीच. कांशीराम को शुरू से अंदाज़ा था कि मायावती कहां तक जा सकती हैं —
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— राजनैतिक जीवन- मुज्ज़फरनगर जिले की कैराना लोक सभा सीट से अपना पहला चुनाव अभियान आरंभ किया सन 1985 और 19 87 में भी उन्होने लोक सभा चुनाव में कड़ी मेहनत की —
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— आख़िरकार सन 1989 में उनके दल ‘बहुजन समाज पार्टी’ ने 13 सीटो पर चुनाव जीता !
 — बहन मायावती जी ने अपने कार्यकाल के दौरान शोषितों, वंचितों,पिछड़ो और बौद्ध धम्म के सम्मान में कई स्मारक स्थापित किये ! 
— बहन मायावती जी की पहचान देश प्रदेश में एक दमदार प्रशासक की —
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— जीवन-1956 दिल्ली में जन्म —
— 1977: शिक्षिका के रूप में करियर की शुरुआत —
— 1984: शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर बसपा में प्रवेश और अपने पहले लोक सभा चुनाव अभियान का प्रारंभ —
— 1989: लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की —
— 1995: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई 
(प्रथम कार्यकाल 3 जून 1995  से 18 अक्टूबर 1995 तक )
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— 1997: दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई —
( दूसरा कार्यकाल 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक)
— 2001: मां कांशीराम साहब जी की उत्तराधिकारी घोषित की गई —
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— 2002: एक बार फ़िर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी —
(3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक) 
— 2007: चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री नियुक्त हुई—
(13 मई 2007 से 15,मार्च,2012)
—  बनाए कई कीर्तिमान —
यूपी में सबसे ज्यादा चार बार मुख्यमंत्री रहीं
— प्रदेश की विधानसभा के इतिहास में पूरे कार्यकाल तक सीएम मुख्यमंत्री रहीं —
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— देश की पहली बहुजन महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी मायावती को ही हासिल है —
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 — द आयरनलेडी बहन मायवती जी पर लिखी गयी किताबें: Mayawati Biography —
— वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद जमील अख्तर ने मायावती के ऊपर अपनी एक किताब लिखी जिसका नाम है, “आयरन लेडी कुमारी मायावती जी.” यह किताब 14,अप्रैल,1999 मां काशीराम साहब के कर कमलों के द्वारा डॉक्टर अंबेडकर के जन्मदिवस पर इसका लोकार्पण किया गया —
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—  एक अन्य पत्रकार, अजय बोस ने मायावती जी के ऊपर एक राजनीतिक बायोग्राफी लिखी है जिसका नाम है —“बहनजी”.:-
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— बहन मायावती जी द्वारा स्वयं लिखी गयी किताबें — 
       — Mayawati Biography —
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—  बहुजन समाज पार्टी के 25 वें सालगिरह पर,3 जून 2000 को मां साहब काशीराम जी के कर कमलों से बहन मायावती जी द्वारा लिखी गई पहली किताब “बहुजन समाज और उसकी राजनीति” को प्रकाशित किया गया.एक और किताब मायावती जी के 50 वे जन्मदिवस पर श्री काशीराम जी के द्वारा 15 जनवरी 2006 को प्रकाशित किया गया. मायावती जी द्वारा लिखित इस किताब का नाम था “मेरा संघर्षमय जीवन एवं बहुजन मूवमेंट का सफरनामा”.
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— मां काशीराम के जन्मदिवस पर 15 मार्च 2008 को बहन मायावती जी ने अपनी एक और किताब का लोकार्पण किया जिसका नाम था,“A Travelogue of My Struggle-Ridden Life and of Bahujan Samaj”—
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— बहन मायावती के जीवन संघर्ष पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख प्रो. विवेक कुमार जी अपने एक लेख में लिखा था :-- यह विडंबना है कि लोग आज बहन मायावती जी के गहने देखते हैं, उनका लंबा संघर्ष और एक-एक कार्यकर्ता तक जाने की मेहनत नहीं देखते. वे यह जानना ही नहीं चाहते कि संगठन खड़ा करने के लिए बहन जी  कितना पैदल चलीं, कितने दिन-रात उन्होंने शोषित,वंचित,पिछड़ो के बस्तियों में काटे —
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— वह उत्तर प्रदेश की पहली ऐसी नेता हैं,जिन्होंने नौकरशाहों को बताया कि वे मालिक नहीं, जनसेवक हैं.  भारतीय लोकतंत्र को समाज की सबसे पिछली कतार से निकली एक सामान्य महिला की उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए.’
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— 2007-2012-5 वर्ष के शासनकाल में बहुजन महापुरुषों के नाम पर बनाये गए जनपद —
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1- गौतम बुद्ध नगर
2- महामाया नगर
3- श्रावस्ती ...
4- कौशाम्बी
5- प्रबुद्ध नगर
6- पंचशील नगर
7- भीम नगर
8- कुशीनगर
9- वैशाली नगर
10- अम्बेडकर नगर 
11- महात्मा फुले नगर
12- शाहू महाराज 
13- रमाबाई नगर, संत रविदास 
15- संत कबीर नगर ,कांशीराम नगर 
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—  विश्वविद्यालयो/पार्को/स्मारकों/ योजना संग्रहालयों/स्टेडियमों के नामो की सूची देखते है —
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1- विश्व स्तरीय गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय
 (छ हजार करोड़ की लागत से )
2- महामाया टेक्निकल विश्वविद्यालय
3- गौतम बुद्ध पार्क,कानपुर
4- गौतम बुद्ध उद्दान,इटावा
5- गौतम बुद्ध स्पोर्ट्स स्टेडीयम,कुशीनगर
6- महामाया स्पोर्ट्स स्टेडीयम, गाजियाबाद
7- गौतम बुद्ध नागरिक टर्मिनल, बरेली
8- महामाया महिला डिग्री कॉलेज, बरेली
9- महामाया महाविद्यालय,इण्टर कॉलेज
तथा कन्या जूनियर हाईस्कुल, श्रावस्ती
10- गौतम बुद्ध राजकीय डिग्री कॉलेज, फैजाबाद,यशोधरा महिला विद्यालय, कुशीनगर
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11- शांति उपवन बुद्ध विहार
हर जिले में गौतम बुद्ध छात्रावास की स्थापना,मां कांशीरामजी राजकीय मेडिकल कॉलेज , सहारनपुर
12- महामाया गरीब बालिका शिक्षण योजना
13- सावित्री फुले छात्रावास
छत्रपति शाहू महाराज छात्रावास
श्री नारायण गुरु एवम रविदास छात्रावास,नगवा , वाराणसी में संत रविदास घाट का निर्माण
14- डॉ.भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल ,लखनऊ एक हजार करोड़ की लागत से 
15- दलित प्रेरणा स्थल नॉएडा 
एक लाख गाव डॉ.आंबेडकर योजना
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16- म़ा. कांशीरामजी शहरी आवास योजना
17- माँ कांशीरामजी स्मारक स्थल ,लखनऊ
18- छत्रपति शाहू महाराज मेडिकल एव आय.ये एस. आय.पी.एस. ट्रेनिंग सेंटर 
19- बुद्ध इंटरनेशनल वर्ल्ड क्लास सर्किट फॉर फॉर्मूला १ रेसिंग
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 रोजगार क्षेत्र में सराहनीय कार्य :-
1- 88 हजार बी टी सी शिक्षकों की भर्ती की गयी !
2- 41 हज़ार कांस्टेबल की भर्ती हुई 
3- "कांशीराम शहरी आवास योजना" के तहत एक लाख एक हज़ार लोगों को आवास मिले !
3 - 108848 सफाईकर्मियों की भर्ती की गयी !
4- बुंदेलखंड में आई टी पॉलिटेक्निक की स्थापना की गयी !
5- गरीब बस्तियों में 2000 सामुदायिक केंद्र खोले गए !
6- प्रदेश के 20 जिलो में अम्बेडकर पी जी छात्रावास की स्थापना की गयी ,मान्यवर कांशीराम यूपी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ,लखनऊ
7- पंचशील बालक इंटर कॉलेज नॉएडा में खुला !
8- महामाया बालिका इंटर कॉलेज गौतम बुद्ध नगर में स्थापित हुआ!
9- डॉ भीमराव आंबेडकर 
मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल , नॉएडा !
10- मान्यवर कांशीराम जी यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी,बाँदा
11- मान्यवर कांशीराम गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ,गाज़ियाबाद
12 - कांशीराम मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ,नॉएडा,मान्यवर श्री कांशीराम मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ,लखनऊ
13- नॉएडा एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ ,भारत का पहला फार्मूला वन रेसिंग ट्रैक “बुद्धा इन्टर्नेशनल सर्किट” बनाया गया !
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14- गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ |
15- यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ
16- महामाया फ्लाईओवर का नॉएडा में निर्माण हुआ ।
2195 गाँव में 3332 km की सड़को का निर्माण हुआ।
17- मान्यवर श्री कांशीराम जी उर्दू अरबी फ़ारसी यूनिवर्सिटी लखनऊ,मान्यवर कांशीराम जी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैरामेडिकल साइंसेज ,झाँसी
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18- राजकीय महाविद्यालय का निर्माण जौनपुर गाज़ियाबाद
19-आतंकवाद से निपटने के लिए एटीएस(ATS) का गठन 2007 में किया गया था  !
20 - लखनऊ जिला कारागार , आदर्श कारागार एवं नारी बंदी निकेतन का लोकार्पण मोहनलालगंज-गोसाईगंज मार्ग पर किया गया कन्नौज ,,बागपत , महाराजगंज , कौशाम्बी , बलरामपुर , सोनभद्र में जिला कारागार का निर्माण हुआ —
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— द आयरनलेडी बहन मायावती जी ने शासनकाल में समाज हित में किए गए सराहनीय महत्वपूर्ण कार्यों की 
सूची —
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— मान्यवर श्री कांशीराम इंटरनेशनल कन्वेंशन सेण्टर का निर्माण हुआ. 
— मान्यवर श्री कांशीराम मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल,ग्रेटर नॉएडा. 
— डॉ शकुंतला मिश्रा उत्तर प्रदेश विकलांग विश्वविद्यालय लखनऊ. 
— वृद्ध कल्याण नीति के अंतर्गत 60 वर्ष के ऊपर सभी बी पी एल व्यक्तियों को वृद्धावस्था पेंशन दिया गया. 
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— “सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना” के अंतर्गत बी पी एल परिवारों की बालिकाओं को आर्थिक सहायता तथा साइकिल प्रदान की गयी. 
—  वृद्ध महिलाओं के लिए प्रत्येक मंडल स्तर पर महिला भरण पोषण की दर 1800 से बढाकर 3600 रूपये वार्षिक की गयी. 
— बेरोजगारों के लाभ हेतु कौशाम्बी,कन्नौज,औरैया , चित्रकूट,श्रावस्ती,बलरामपुर,संत कबीरनगर,ज्योतिबा फुले नगर,चंदौली तथा बागपत में रजिस्ट्रेशन सेंटर स्थापित किये गए. 
— नवनिर्मित जनपद मान्यवर कांशीराम नगर में एम्प्लॉयमेंट ऑफिस स्थापित किया गया. 
— मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र लखनऊ में स्थापित. 
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— प्रदेश में 60 जनपदों के परिवहन कार्यालय इंटरनेट की सुविधा से जोड़े जा चुके हैं.
—  गोरखपुर तथा अलीगढ में होमियोपैथीक मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गए. 
—  153 नए राजकीय होमियोपैथी चिकित्सालयो की स्थापना. 
— 1052 विकलांगो को उचित दर की दुकाने आवंटित की गयी. 
—  कन्नौज,बागपत,महाराजगंज,कौशाम्बी,बलरामपुर व सोनभद्र में जिला कारागारों का निर्माण हुआ. 
— होमगार्ड  स्वयंसेवको को दुर्घटना बीमा राशि 2 लाख से बढाकर 3 लाख की गयी,आशा योजना पूरे प्रदेश में लागू है । इस योजना के तहत 2007-10 तक 1,36,183 आशाओं का चयन किया गया. 
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— सिद्धार्थनगर ,हाथरस एवं मऊ में ब्लड बैंक स्थापित किया गया. 
— एच आई वी/एड्स से संक्रमित व्यक्तियों को सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए 8 ड्रॉप इन सेण्टर इलाहबाद , लखनऊ , गोरखपुर , वाराणसी ,मऊ , देवरिया , इटावा ,बाँदा में स्थापित किये गए. 
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— इन रोगियों के इलाज के लिए 8 कम्युनिटी केअर सेंटर लखनऊ, कानपुर , अलीगढ , आगरा , गोरखपुर, वाराणसी , इलाहबाद , मेरठ में स्थापित किये गए.
— 12,244 शिक्षामित्र नियुक्त किये गए. 
— लखनऊ व गाजियाबाद में हज़ हॉउस का निर्माण किया गया —
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— एससी एसटी छात्रों के लिए नॉएडा में हॉस्टल स्थापित !
@- एशिया का सबसे बड़ा “सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट” लखनऊ मे सरक़ार ने बनवाया. 
— राज्य सरकार द्वारा 140 मदरसों में मिनी आई टी आई की स्थापना की गयी. 
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— 169 मदरसों को मान्यता दी गयी. 
— बायो फ़र्टिलाइज़र यूनिट की स्थापना लखनऊ मे की गयी. 
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— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहबजी,बहन मायावती जी  ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —
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—— वो थे इसलिए आज हम है ——
—— यारों अगर भीम न होते तो बहुजन समाज और महिलाओं का मान सम्मान न होता अगर भीम न होते तो इस देश की मुखिया कोई महिला न होती,ये सूट बूट वाले साहब न होते शोषितों वंचित समाज में ये ऐसो आराम के समान न होते ये आलिशान महल न होते ——
   —— अगर इस भारत भूमि पर भीम न होते तो ये बड़ी बड़ी गाडियां, ये शोहरत ये इज्जत, ये अफसरशाही, सत्ता का स्वाद,न होता,ये उस सूर्य कोटि महापुरुष परमपूज्य 
बाबा साहेब की देन है जिन्होंने अपने समाज को गुलामी से आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर
 कर दिया ——
—— ऐसे महान शख्सियत के चरणों में शत शत नमन करता हूं, मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर वो बाबा थे जिन्होंने अपने समाज के बेटों को बचाने के लिए अपने बच्चों, पत्नी की कुर्बानी दे दी थी समाज के लिए ——
—— जरा हम लोग सोचे कि हमने क्या किया बाबा साहेब के लिए बाबा साहेब की पूजा तो हम बड़ी शिद्दत से करते हैं
ले उनकी बातों को नहीं मानते हैं ऐसे महान शख्सियत,आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक के चरणों में शत शत प्रणाम करता हूं ——
—  तो ऐसे थे हमारे आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर — 
—— साथियों आज वे हमारे बीच नही है, पर उनके द्वारा किये गए कार्यों,संघर्षों और उनके उपदेशों से हमेशा वे हमारे बीच जीवंत है। संविधान के रचयिता और ऐसे अद्वितीय समाज सुधारक को हमारा कोटि-कोटि नमन ——
 — आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे
 महानायक, लेकिन”भारतीय जातिवादी-मानसिकता ने सदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई |भारत में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा हो, जिसने देश के निर्माण,उत्थान और प्रगति के लिए थोड़े समय में इतना कुछ कार्य किया हो, जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी ने किया है और शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो, जो निंदा, आलोचनाओं आदि का उतना शिकार हुआ हो,जितना बाबासाहेब आंबेडकर जी हुए थे —
—— बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है। इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था ——
—— आवो जानें पे बैक टू सोसायटी क्या ——
—— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय,ज्ञान,बुद्धि, पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
—— तुम्हारें अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं दुबारा नहीं आऊंगा,ये क्रांति का रथ संघर्षो का कारवां ,जो मैं बड़े दुखों,कष्टों को सहकर यहाँ तक ले आया हूँ,अब आगे तुम्हे ही ले जाना है  ——
—— साथियों बाबा साहेब जी अपने अंतरिम दिनोँ में अकेले रोते हुऐ पाए गए। बाबा साहेब अम्बेडकर जी से जब काका कालेलकर कमीशन 1953 में मिलने के लिए गया ,तब कमीशन का सवाल था कि आपने पूरी जिन्दगी पिछड़े,शोषित,वंचित वर्ग समाज  के उत्थान के लिए लगा दी काका कालेकर कमीशन ने पूछा बाबा साहेब जी आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए बाबा साहेब ने जवाब दिया कि पिछड़े,शोषित,वंचित समाज का उत्थान करना है तो इनके अंदर बड़े लोग पैदा करने होंगें ——
—— काका कालेलकर कमीशन के सदस्यों को यह बात समझ नहीं आई  तो उन्होने फिर सवाल किया “बड़े लोग से आपका क्या तात्पर्य है ? " बाबा साहेब जी ने जवाब दिया कि अगर किसी समाज में 10 डॉक्टर , 20 वकील और 30 इन्जिनियर पैदा हो जाऐ तो उस समाज की तरफ कोई आंख ऊठाकर भी देख नहीं सकता !"
—— इस वाकये के ठीक 3 वर्ष बाद 18 मार्च 1956 में आगरा के रामलीला मैदान में बोलते हुऐ बाबा साहेब ने कहा "मुझे पढे लिखे लोगों ने धोखा दिया। मैं समझता था कि ये लोग पढ लिखकर अपने समाज का नेतृत्व करेगें , मगर मैं देख रहा हुँ कि  मेरे आस-पास बाबुओं की भीड़ खड़ी हो रही है जो अपना ही पेट पालने में लगी है !" 
—— साथियों बाबा साहेब अपने अन्तिम दिनो में अकेले रोते हुए पाए गए ! जब वे सोने की कोशिश करते थे तो उन्हें नींद नहीं आती थी,अत्यधिक परेशान रहने वाले थे बाबा साहेब के निजी सचिव  नानकचंद रत्तु ने बाबा साहेब जी से सवाल पुछा कि , आप इतना परेशान क्यों रहते है बाबा साहेब जी ? ऊनका जवाब था , " ——
—— नानकचंद , ये जो तुम दिल्ली देख रहो हो अकेली दिल्ली में 10,000 कर्मचारी ,अधिकारी यह केवल अनुसूचित जाति के है  ! जो कुछ साल पहले शून्य थे मैँने अपनी जिन्दगी का सब कुछ दांव पर लगा दिया,अपने लोगों में पढ़े लिखे लोग पैदा करने के लिए क्योंकि  मैं जानता था कि जब मैं अकेल पढ लिख कर इतना काम कर सकता हुँ  अगर हमारे हजारों लोग पढ लिख जायेगें तो बहुजन समाज में कितना बड़ा परिवर्तन आयेगा लेकिन नानकचंद,मैं जब पुरे देश की तरफ निगाह दौड़ाता हूँ हूँ तो मुझे कोई ऐसा  नौजवान नजर नहीं आता है,जो मेरे कारवाँ को आगे ले जा सकता है नानकचंद,मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा है ,जब मैं अपने मिशन के बारे में सोचता हुँ,तो मेरा सीना दर्द से फटने लगता है ——
—— जिस महापुरुष ने अपनी पुरी जिन्दगी,अपना परिवार ,बच्चे आन्दोलन की भेँट चढाए,जिसने पुरी जिन्दगी इस विश्वास में लगा दी  कि , पढा -लिखा वर्ग ही अपने शोषित वंचित भाइयों को आजाद करवा सकता हैं जिन्होंने अपने लोगों को आजाद कर पाने का मकसद अपना मकसद बनाया था,क्या उनका सपना पूरा हो गया ? आपके क्या फर्ज  बनते हैं समाज के लिए ?
—— सम्मानित साथियों जरा सोचो आज बाबा साहेब की वजह से हम ब्रांडेड कपड़े, ब्रांडेड जूते, ब्रांडेड मोबाइल, ब्रांडेड घड़ियां हर कुछ ब्रांडेड इस्तेमाल करने के लायक बन गए हैं बहुत सारे लोग बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब पर सैकड़ों रुपये बर्बाद करते हैं ! इस पर औसतन 500 रुपये खर्च आता है,चाउमीन, गोलगप्पे, सूप आदि पर हरोज 20 से 50 रुपये खर्च आता है। महिने में ओसतन 600 से 1500 रुपये तक खर्च हो सकते हैं ——
—— बाबा साहेब के अधिकारों,संघर्षो,प्रावधानों की वजह से जो लोग इस लायक हो गए हैं  हम लोगों पर बाबा साहेब ने विश्वास नहीं किया क्योंकि हमने बाबा साहेब के साथ विश्वासघात किया था ! उनके द्वारा दिखाए गए सपनों से हम दूर चले गए नौकरी आयी और आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी को भूल गए —— 
——"हमारे उपर बाबा साहेब का बहुत बड़ा कर्ज है, 
क्या आप उसे उतार सकते हैं,नहीं रत्तीभर भी नहीं हम जिस शख्स ने इस देश के शोषित,वंचित, पिछले, समाज,सर्वसमाज,महिलाओं भारतवर्ष के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी,अपने बच्चे,पत्नी अपने सुख चैन सब कुछ कुर्बान कर दिया जरा सोचो किसके लिए आप लोगों के लिए और हम लोग क्या कर रहें हैं टीवी,बीवी में मस्त है मिशन को भूल गये ——
—— लेकिन हमें फिर से पहले की तरह बाबा साहेब को धोखा नहीं देना चाहिए,पढ़े-लिखे लोगो अपने उपर से धोखेबाज का लेबल उतारो और बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाओ ——
——आपके बीड़ी, सिगरेट पर खर्च होने वाले 15 रुपये से न जाने कितने बच्चों को शिक्षा मिल सकती है,आपके फास्टफूड पर खर्च होने वाले 50 रुपये से न जाने कितने गरीब लोगों को दवाई मिल सकती है !आपके इन पैसों से न जाने कितने मिशनरी साथियों का खर्च चल रहा है जो पूरा जीवन समाज सेवा मे लगा रहे हैं ——
—— जरा अपने दिल पर हाथ रख कर कहो तुम क्या बाबा साहेब के पे बैक टू सोसाइटी सिद्धांत पर चल रहे हो ——
—— केवल भंडारे देना,चंदा देना,कार्यक्रम करना,ठंडे पानी की स्टाल लगाना पे बैक टू सोसाइटी नहीं है ——
——अपने जैसे सक्षम लोग पैदा करना पे बैक टू सोसाइटी है गरीब बच्चों को शिक्षित करना पे बैक टू सोसाइटी है,शिक्षित लोगों को नौकरियां दिलाना डाक्टर है ——
——बहुजनों को वैज्ञानिक,इंजिनियर,वकील,शिक्षक,डाक्टर इत्यादि बनाना पे बैक टू सोसाइटी है.बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए लगे हुए मिशनरियों को मदद देना असली पे बैक टू सोसाइटी है ——
—— आप जो पोजिशन पर है आपका फर्ज बनता है कि मेरे समाज का हर बच्चा उस पोजिशन पर पहुंचे यह पे बैक टू सोसाइटी है,अतः हम पढे-लिखे, नौकरीपेशा समाज से अपील करते हैं कि आप अपने उपर लगे धोखेबाज के लेबल को उतारने की कोशिश करें आपने ग़ैर-भाई बहनों के पास जाओ,उनकी ऊपर उठने में मदद करें,अपने उद्योग धंधे, व्यापार आदि शुरू करें, अपने आप को बेरोजगार बहुजनों के लिए रोजगार की व्यवस्था करें,अपना व्यवसाय शुरू करें, अपने समाज का पैसा अपने समाज में रोकें ——
 —— प्रयत्न करें,जब तक बाबा साहेब का पे बैक टू सोसाइटी  का सिद्धांत लागू नहीं होगा तब तक देश से गरीबी नहीं मिटेगी ——
——  साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट {संदर्भ- सलेक्टेड ऑफ डाँ अम्बेडकर – लेखक डी.सी. अहीर पृष्ठ क्रमांक 110 से 112 तक के भाषण का हिन्दी अनुवाद), श्री गुरु रविदास जन-जागृति एवं शिक्षा समिति,(राजी),दलित दस्तक ,समय बुद्धा,,पुस्तक-'डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर के महत्वपूर्ण संदेश एवं विद्वत्तापूर्ण कथन' के थर्ड कवर पृष्ठ से,लेखक-नानकचंद रत्तू-अनुवादक-गौरव कुमार रजक, अंकित कुमार गौतम,संपादन-अमोल वज्जी,प्रकाशक-डी के खापर्डे मेमोरियल ट्रस्ट (पब्लिकेशन डिवीजन)527ए, नेहरू कुटिया, निकट अंबेडकर पार्क, कबीर बस्ती, मलका गंज, नई दिल्ली -07, विकिपीडिया} ——
 ——"सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,मानवता की प्रचारक महामानव बाबा साहेब अम्बेडकर जी के  चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं ——
— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए आधुनिक भारत के निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —  
— साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं 
      — जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान —
  — सच  अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
     ―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के  बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया ——
   ―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
   —— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो ——
      —―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है ——
      —– साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था ——
       ―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
      ―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"
       ―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
        ―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
             ―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर  जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
        ― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !
           ―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
     ―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद   रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय ज्योतिबा फुले 
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर 
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !    
              अमित गौतम
             युवा सामाजिक
                कार्यकर्ता         
              बहुजन समाज
  जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर
           सम्पर्क सूत्र-9452963593





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